हर साल 26 जनवरी को भारत अपने गणतंत्र दिवस का जश्न मनाता है और इस दिन की सबसे बड़ी खासियत होती है दिल्ली में आयोजित होने वाली भव्य परेड। यह परेड न सिर्फ भारतीय सेना की ताकत का प्रदर्शन करती है, बल्कि देश की सांस्कृतिक विविधता और विकास की भी एक जीवंत तस्वीर पेश करती है। इस साल हम 76वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहे हैं, जिसका थीम है “स्वर्णिम भारत-विरासत और विकास।” परेड में दिखाए जाने वाले सैनिकों के मार्च से लेकर उन्नत हथियारों के प्रदर्शन तक, यह हर भारतीय को गर्व महसूस कराता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह परेड कैसे गणतंत्र दिवस की सबसे बड़ी पहचान बनी? आइए जानते हैं, इतिहास से लेकर आज तक इस परेड की यात्रा के बारे में।
गणतंत्र दिवस की परेड: कैसे बनी सेना की परेड गणतंत्र दिवस की शान?
जब भारत को 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता मिली, तो देश में अपनी एक पहचान बनाने का समय था। 26 नवंबर 1949 को भारतीय संविधान को अंगीकार किया गया, और फिर 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू किया गया। उसी दिन से गणतंत्र दिवस समारोह की शुरुआत हुई। इस दिन हर साल राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भव्य परेड का आयोजन किया जाता है। परेड का उद्देश्य केवल देश की सैन्य ताकत का प्रदर्शन करना नहीं है, बल्कि यह भारत की विविधता, सांस्कृतिक धरोहर और तकनीकी उन्नति को भी दुनिया के सामने लाना है।
परेड की शुरुआत राष्ट्रपति भवन से होती है और यह कर्तव्य पथ से होते हुए इंडिया गेट से लेकर लाल किले तक जाती है। परेड के दौरान, भारतीय सेना अपनी ताकत दिखाती है, जबकि विभिन्न राज्यों की झांकियां अपनी संस्कृति और प्रगति का चित्रण करती हैं।
पहली बार परेड में मार्च करने वाले 3,000 जवान
परेड की शुरुआत 1950 में हुई थी और इतिहासकार रामचंद्र गुहा के मुताबिक, पहले गणतंत्र दिवस पर 26 जनवरी 1950 को डॉ. राजेंद्र प्रसाद के सामने सशस्त्र सेनाओं के लगभग 3,000 जवानों ने मार्च किया था। इसके साथ ही, 31 तोपों की सलामी दी गई थी और वायुसेना के विमानों ने भी करतब दिखाए थे। यह पहली परेड दिल्ली के एक स्टेडियम में आयोजित की गई थी। लेकिन अगले ही साल, यानी 1951 में, परेड को दिल्ली के राजपथ पर शिफ्ट कर दिया गया, जहां से यह आज तक जारी है।
बढ़ती गई परेड की भव्यता और विविधता
जैसे-जैसे समय बीतता गया, परेड और भी भव्य और विविध होती गई। पहले यह सिर्फ भारतीय सेना का प्रदर्शन हुआ करता था, लेकिन बाद में सरकार ने राज्यों को भी इसमें शामिल करने की पहल की। राज्यों की झांकियों के माध्यम से भारतीय विविधता का प्रदर्शन होने लगा। यह झांकियां केवल सांस्कृतिक महत्व ही नहीं, बल्कि राज्यों की विकास यात्रा को भी प्रदर्शित करती हैं। इसके बाद, परेड में एक नया तत्व जुड़ा—सांस्कृतिक प्रदर्शनी, जिससे परेड एकता और विविधता का प्रतीक बन गई।
तीनों सेनाओं और अर्धसैनिक बलों का अद्भुत प्रदर्शन
वक्त के साथ, परेड में और भी बदलाव आए। अब, परेड में सिर्फ सेना की टुकड़ियां ही नहीं, बल्कि अर्धसैनिक बलों की टुकड़ियां, एनसीसी कैडेट्स और अन्य सरकारी विभाग भी हिस्सा लेने लगे। इसके साथ ही, भारतीय सेनाओं के अत्याधुनिक हथियारों और तकनीकी विकास का भी प्रदर्शन किया जाने लगा। सेना के टैंक, मिसाइल सिस्टम, और अन्य युद्धक उपकरणों की झलक देशवासियों को आत्मनिर्भर भारत की ताकत का अहसास कराती है।
आखिरकार, परेड के दौरान, वायुसेना भी अपना जलवा दिखाती है, जहां विमान हवा में करतब करते हैं और दर्शकों को रोमांचित करते हैं। इस सब के बीच, सेना के टैंकों से लेकर मिसाइलों तक का प्रदर्शन यह साबित करता है कि भारत अपनी रक्षा करने में सक्षम है।
2025 में गणतंत्र दिवस की परेड: क्या दिखेगा नया?
इस साल यानी 2025 में गणतंत्र दिवस की परेड में एक और नया आयाम जुड़ने जा रहा है। इस बार परेड में भारत के आत्मनिर्भरता का स्पष्ट संदेश दिखेगा। भारतीय सेना अपने स्वदेशी और अत्याधुनिक हथियारों का प्रदर्शन करेगी। इसमें शामिल होंगे टी-90 भीष्म टैंक, सारथ टैंक, नाग मिसाइल सिस्टम, ब्रह्मोस मोबाइल लॉन्चर, और अग्निबाण मल्टीबैरल रॉकेट लॉन्चर जैसे उपकरण।
इसके अलावा, इस साल के परेड में करीब 77,000 लोग मौजूद रहेंगे, जिसमें 300 कलाकार इस भव्य समारोह की शुरुआत करेंगे। कुल मिलाकर, 18 मार्चिंग दस्ते, 15 बैंड और 31 झांकियां इसमें शामिल होंगी। लगभग 5,000 कलाकार इस सांस्कृतिक कार्यक्रम का हिस्सा होंगे, जो कर्तव्य पथ पर अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे।
गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि
गणतंत्र दिवस समारोह में किसी विदेशी राष्ट्राध्यक्ष को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जाता है। इसकी शुरुआत 1950 में हुई थी, जब इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो पहली बार गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि बने थे। बाद में, यह परंपरा बन गई, और विभिन्न देशों के राष्ट्राध्यक्षों को हर साल भारत में आमंत्रित किया गया।
इस साल, गणतंत्र दिवस पर इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबिआंतो मुख्य अतिथि होंगे। यह एक बार फिर भारत और इंडोनेशिया के बीच मजबूत द्विपक्षीय संबंधों को दर्शाता है।