कल अकेले KKR की नैया पार लगाने वाले रिंकू सिंह कभी कोचिंग सेंटर में लगाते थे पोछा, हर किसी के लिए प्रेरणादायक है कहानी

कल अकेले KKR की नैया पार लगाने वाले रिंकू सिंह कभी कोचिंग सेंटर में लगाते थे पोछा, हर किसी के लिए प्रेरणादायक है कहानी
आईपीएल 2023 में शनिवार को गुजरात टाइटन्स और कोलकाता नाइट राइडर्स के बीच एक शानदार मैच देखने को मिला। इस मैच में केकेआर ने जीटी को 3 विकेट से हरा दिया। वैसे तो इस मैच में कई खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन किया, लेकिन केकेआर के रिंकू सिंह इस मैच में हीरो बनकर उभरे। उन्होंने मैच की आखिरी 5 गेंदों पर 5 छक्के लगाकर केकेआर को शानदार जीत दिलाई।  रिंकू सिंह की इस पारी ने उनको आईपीएल के बड़े स्टार्स में शामिल कर दिया है। रिंकू सिंह को आज दुनिया सलाम कर रही है, लेकिन अलीगढ़ के इस लड़के की यहां तक पहुंचने की कहानी बहुत संघर्षों से भरी है। जिस गरीबी से निकलकर उन्होंने नाम बनाया है, वो काबिल-ए-तारीफ है।
अलीगढ़ के रहने वाले हैं रिंकू गरीब परिवार से आते हैं। उनके पिता एक गैस सिलेंडर वेंडर थे। रिंकू के चार बड़े भाई हैं। जिनमें एक भाई ऑटो चलाता था तो दूसरे भी मेहनत मजदूरी करके अपना गुजारा करते थे। रिंकू सिंह के मन में जब क्रिकेटर बनने का ख्याल आया तो पिता ने परिवार की हालत का हलावा देते हुए खूब सुनाई।
कोलकाता नाइटराइडर्स की वेबसाइट पर मौजूद उनके एक वीडियो के मुताबिक़, “पिता बिल्कुल नहीं चाहते थे कि मैं खेल में समय बर्बाद करूं। क्रिकेट खलने के लिए बहुत पिटाई भी हो जाती थी। पिता डंडा लेकर इंतजार करते थे कि कब आता है घर, लेकिन भाइयों ने साथ दिया और हर मौके पर क्रिकेट खेलता था। बॉल खरीदने तक के पैसे नहीं होते थे, लेकिन इस दौरान कुछ लोगों ने मदद भी की।”
एक टूर्नामेंट ऐसा भी आया जब रिंकू सिंह को शानदार प्रदर्शन करने के लिए इनाम के तौर पर बाइक मिली। रिंकू ने अपने पिता को वह बाइक गिफ्ट कर दी। पिता को भी लगा कि अलीगढ़ के कारोबारियों के घरों और कोठियों में गैस सिलिंडर पहुंचाने के सालों के काम में वे जिस बाइक को नहीं खरीद सके, वो बेटे के क्रिकेट ने ला दिया। लिहाजा मार पिटाई तो बंद हो गई, लेकिन परिवार के सामने आर्थिक चुनौतियां बनी हुईं थीं।
ऐसे ही किसी दिन काम की तलाश में रिंकू सिंह को काम मिला। उन्होंने बताया है, “मुझे पोछा लगाने की जॉब मिली। एक कोचिंग सेंटर में मुझे पोछा लगाना था। उन्होंने कहा था कि सुबह-सुबह आकर काम कर जाया करो। नौकरी भाई ने ही दिलाई थी, लेकिन मैं नहीं कर पाया।मैं घर लौटा तो अपनी मां से बोला कि मैं वहां दोबारा नहीं जाऊंगा।
लेकिन यहां से ही क्रिकेट का रास्ता नहीं खुला, रिंकू सिंह को मालूम नहीं था कि अंडर-16 ट्रायल में क्या करना चाहिए, दो बार वे पहले ही राउंड में छँट गए. ऐसे में अलीगढ़ के मोहम्मद ज़ीशान ने उनकी मदद करने सामने आए।
ऐसे में अलीगढ़ के मोहम्मद जीशान उनकी मदद के लिए आगे आए। इसके बाद रिंकू सिंह को शुरुआती दिनों में अलीगढ़ के ही मसूद अमीन से कोचिंग मिलने लगी। रिंकू के शुरुआती कैरियर में अमीन ने उसकी आर्थिक सहयोग किया। इसके साथ ही महुआ खेड़ा अकादमी के संरक्षक अर्जुन सिंह फकीरा ने भी आर्थिक सहयोग के साथ खेल कूद के समान खरीदने में की। जिन्होंने खेल उपकरण खरीदने से लेकर स्थानीय क्लब चुनने और अकादमी की सुविधाएं दिलाने तक पूरी मदद की।
रिंकू सिंह को साल 2018 में कोलकाता नाइट राइडर्स ने 80 लाख रुपए में अपने साथ जोड़ा। परिणाम तुरंत नहीं मिला लेकिन आज करीब 5 साल बाद उनका नाम हर किसी की जुबां पर है। उन्होंने जो कर दिखाया उसके बाद वो सुपरस्टार बन गया।
रिंकू घरेलू क्रिकेट में उत्तर प्रदेश और आईपीएल में कोलकाता नाइट राइडर्स के लिए खेलते हैं। वह लेफ्ट हैंड बैट्समैंन हैं और ऑफ ब्रेक गेंदबाजी करते हैं। उन्होंने अंडर-16, अंडर-19 और अंडर-23 लेवल पर उत्तर प्रदेश प्रतिनिधित्व किया। 2014 में 16 साल की छोटी उम्र में यूपी के लिए अपनी लिस्ट ए क्रिकेट की शुरुआत की और उस मैच में 83 रन बनाए।
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