लखनऊ. लोकसभा चुनाव 2019 के लिए समाजवादी पार्टी (सपा) ने इलाहाबाद से बसपा की पूर्व विधायक पूजा पाल को उन्नाव से टिकट दिया है. बता दें कि उन्नाव सीट से भाजपा के प्रत्याशी वर्तमान सांसद साक्षी महाराज हैं. वहीं, कांग्रेस की प्रत्याशी अन्नू टंडन हैं. यानी मुकाबला लेडीज वर्सेस बाबा के बीच होगा. पूजा पाल फरवरी 2018 में बसपा से निष्कासित कर दी गई थीं. बसपा ने उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्त रहने और अनुशासनहीनता का आरोप लगाते हुए पार्टी से बाहर कर दिया था. तो आइए जानते हैं कि कौन हैं पूर्व विधायक पूजा पाल?
सपा उम्मीदवार पूजा पाल विधायक रहे राजू पाल की पत्नी हैं. राजू पाल इलाहाबाद शहर पश्चिमी विधानसभा सीट से बसपा के विधायक थे. उनकी 25 जनवरी, 2005 को इलाहाबाद में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इसका इल्जाम आया था बाहुबली सांसद अतीक अहमद और उनके छोटे भाई अशरफ पर. पुलिस ने दोनों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया.
इसके बाद हुए उपचुनाव. राजू पाल से शादी के सिर्फ 10 दिन बाद ही बसपा ने पूजा पाल को उम्मीदवार बना दिया. इस तरह उनकी राजनीति में एंट्री होना एक ट्रेजिडी थी. खैर जब नतीजा आया तो पूजा पाल करीब 13 हजार वोटों से हार गई. 2007 में फिर विधानसभा चुनाव हुए. एक बार फिर बसपा ने पूजा पाल पर दांव लगाया. वहीं सपा के उम्मीदवार बने अशरफ. नतीजे आए तो पूजा पाल ने अशरफ को करीब 10 हजार वोटों से मात दी थी. उनके अलावा पूजा ने यूपी के उपमुख्यमंत्री रहे केशव प्रसाद मौर्य को भी तीसरे नंबर पर धकेल दिया था.
2012 में समाजवादी पार्टी का चेहरा बने अखिलेश यादव. उनकी कोशिशों के चलते ही अतीक अहमद की सपा में वापसी नहीं हो पाई और सपा ने ज्योति यादव को अपना उम्मीदवार बनाया. बसपा से मैदान में थीं पूजा पाल. जब नतीजा आया तो अतीक अहमद को उनके जीवन की सबसे बड़ी राजनैतिक मात मिल चुकी थी. लगातार 25 साल तक जिस सीट से अतीक अहमद जीत हासिल करते आ रहे थे, उसी सीट से पूजा पाल ने उन्हें करीब 9 हजार वोटों से तगड़ी शिकस्त दे दी थी.
अब आते हैं 2017 के विधानसभा चुनाव में. अफवाह उड़ी कि पूजा पाल भाजपा में शामिल हो सकती हैं. लेकिन बीजेपी ने इस सीट से लाल बहादुर शास्त्री के नाती सिद्धार्थ नाथ सिंह को उम्मीदवार घोषित कर दिया. ऐसे में पूजा पाल फिर बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ने उतरीं. नतीजे चौंकाने वाले थे. सिद्धार्थ नाथ सिंह जीत गए थे और पूजा पाल थीं तीसरे नंबर पर. जबकि दूसरे नंबर पर थीं सपा प्रत्याशी ऋचा सिंह, जो इलाहाबाद यूनिवर्सिटी का छात्रसंघ चुनाव जीतकर चर्चा में आई थीं. अपनी हार के बाद पूजा पाल ने क्षेत्र में सक्रियता खत्म कर दी.
पूजा पाल को पार्टी ने किया निष्कासित
करीब एक साल बाद 21 फरवरी, 2018 को एक नया मोड़ आया. बसपा ने एक प्रेस रीलिज़ जारी की. इलाहाबाद-मिर्जापुर मंडल के जोनल कोऑर्डिनेटर अशोक कुमार गौतम ने लिखा, ‘2017 के चुनाव के बाद पूजा पाल अपने क्षेत्र में नहीं गईं. पार्टी कार्यकर्ताओं का फोन उठाना बंद कर दिया. पार्टी की बैठकों और सभाओं में शामिल नहीं हुईं. इसे गंभीर अनुशासनहीनता मानते हुए पार्टी अध्यक्ष मायावती के निर्देश पर पूजा पाल को पार्टी से बाहर किया जाता है.’
एक साल बाद लोकसभा चुनाव 2019 के लिए सपा ने अपने प्रत्याशियों की लिस्ट जारी की. इसमें पूजा पाल को उन्नाव सीट से उतारा गया है. लेकिन ऐसा क्या हुआ कि बसपा से निकाली गईं पूजा पाल को अखिलेश यादव ने अपना प्रत्याशी बना दिया.. आइए जानते हैं…
दरअसल, राजू पाल की हत्या के बाद अतीक अहमद फरार हो गए, जिसके बाद दिसंबर, 2007 में मुलायम सिंह यादव ने उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया. अतीक अहमद को सरेंडर करना पड़ा. उसने फिर सपा में वापसी की राह देखी. लेकिन तब तक अखिलेश यादव सत्ता संभाल चुके थे. बावजूद इसके मुलायम सिंह ने अतीक को पार्टी में वापस ले लिया. विरोध के बाद भी अतीक अहमद श्रावस्ती से मैदान में उतरे और हार गए.
अखिलेश यादव इस बात को बखूबी जानते हैं कि पूजा पाल ही हैं, जो अतीक अहमद की सल्तनत को अकेले चुनौती दे चुकी हैं. इसलिए जब 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा का गठबंधन हुआ तो अखिलेश यादव ने पूजा पाल पर दांव लगाया है.