जिले के कुठौंद, रामपुरा, कालपी, कदौरा, जगम्मनपुर से निकलने वाली 6 नदियों ने तबाही मचा रखा है. चारों तरफ सिर्फ तबाही का मंजर नजर आता है. हालात यह हैं कि 80 किलोमीटर के क्षेत्र में लगभग 50 से ज्यादा गांव डूब गए हैं वही प्रशासन के द्वारा बचाव कार्य जारी है. नदियों का जलस्तर बढ़ने से बाढ़ के पानी ने तांडव मचा दिया है. लोग अपने घरों में कैद हैं तो जानवरों की जान भी आफत में पड़ गई है.
कई दिनों से यमुना, चंबल और बेतबा नदी का जलस्तर बढ़ रहा था. तो वही राजस्थान के कोटा बैराज से छोड़े गए 17 लाख क्यूसेक पानी ने कई गांवों को अपने गिरफ्त में ले लिया है. 2 दिनों में जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया है.
सबसे ज्यादा कालपी और रामपुरा के क्षेत्र इस बाढ़ से प्रभावित हुए हैं. इन क्षेत्रों के गांवों में प्रशासन की तरफ से लगातार रेस्क्यू अभियान चलाया जा रहा है. एसडीआरएफ की टीमों के साथ आर्मी की बटालियन भी लोगों की जान बचाने का प्रयास कर रही है.
प्रशासन की कोशिश है कि कैसे भी लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जाए जिससे कोई जनहानि न हों. गांवों की गलियों व सड़को से गुजरता हुआ पानी अब हाईवे व घरो के अंदर तक पहुँच गया है.
जालौन से औरैया हाईवे भी जलमग्न हो गया है. तो वही कई गांव के सम्पर्क मार्ग भी टूट चुके हैं. लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाकर उन तक राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है.
एसडीएम कौशल किशोर ने बताया कि अगर किसी डैम से पानी न छोड़ा गया तो जलस्तर घट सकता है. फिलहाल, नदी खतरे के निशान के ऊपर बह रहा है. उन्होंने बताया कि 25 गांव प्रभावित हुए हैं और एसडीआरएफ के साथ एनडीआरएफ की टीम में बचाव कार्य लगी हुई है.