Monday, March 31, 2025

2026 चुनाव से पहले RSS ने बंगाल में बिछाया बड़ा जाल, क्या ढह जाएगा ममता का किला?

RSS Bengal Expansion: पश्चिम बंगाल में मार्च-अप्रैल 2026 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने राज्य में अपनी जड़ें मज़बूत करने का अभियान तेज़ कर दिया है। बता दें कि पिछले दो साल (2023-2025) में RSS ने बंगाल में 500 नई शाखाएँ स्थापित की हैं, जिसे संगठन एक बड़ी उपलब्धि मान रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मेहनत भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए 2026 में ममता बनर्जी के तृणमूल कांग्रेस (TMC) के किले को चुनौती देने की राह तैयार कर सकती है। हरियाणा, दिल्ली, और महाराष्ट्र में सफलता के बाद क्या RSS का यह जाल बंगाल में भी कमाल करेगा? आइए, इसकी पड़ताल करते हैं।

RSS की शाखाओं में लगातार विस्तार

RSS ने बंगाल को उत्तर बंगा, मध्य बंगा और दक्षिण बंगा नाम से तीन प्रांतों में बाँटा है। इनमें सबसे ज़्यादा उछाल मध्य बंगा में देखने को मिला है। जहाँ शाखाएँ, मिलन, और मंडलियाँ 2023 में 1320 से बढ़कर 2025 में 1823 हो गईं हैं। उत्तर बंगा में यह संख्या 1034 से 1153, और दक्षिण बंगा में 1206 से 1564 तक पहुँची। मध्य बंगा के पूर्व व पश्चिम बर्दवान, बीरभूम, बांकुड़ा, मुर्शिदाबाद, और पुरुलिया जैसे जिलों में यह वृद्धि खास तौर पर ध्यान देने योग्य है, क्योंकि ये इलाके 2019 के लोकसभा चुनाव में BJP के लिए मज़बूत रहे थे, हालाँकि 2024 में पार्टी जरूर यहाँ कमज़ोर पड़ गई थी।

 

कैसे बढ़ रही है स्वयंसेवकों की संख्या?

वहीं RSS प्रमुख मोहन भागवत ने फरवरी 2025 में बर्दवान में 11 दिन के प्रवास के दौरान एक खुली सभा की, जिसे संगठन की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। मध्य बंगा प्रांत के प्रचार प्रमुख सुषवन मुखर्जी ने कहा, “लोग हिंदुत्व की जड़ों की ओर लौट रहे हैं, यही वजह है कि स्वयंसेवकों की संख्या बढ़ रही है। आईए RSS की शाखाओं में हो रहे लगातार विस्तार पर एक नजर डालते हैं-

विषय 2023 2024 2025 बढ़ोतरी (%)
उत्तर बंगा शाखाएं 1034 1041 1153 11.5%
मध्य बंगा शाखाएं 1320 1580 1823 38.1%
दक्षिण बंगा शाखाएं 1206 1380 1564 29.7%
कुल शाखाएं 3550 4001 4539 27.8%

 

BJP के लिए बड़ी खुशखबरी?

BJP सूत्रों का दावा है कि RSS की यह सक्रियता 2026 के चुनाव में पार्टी के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकती है। पूर्व क्षेत्र प्रचार प्रमुख जीष्णु बसु ने बताया, “मध्य बंगा में शाखाओं ने कड़ी मेहनत की है। छोटे समूहों की बैठकें और रैलियाँ लगातार हो रही हैं।” 2019 में BJP ने बंगाल में 18 लोकसभा सीटें जीती थीं, जो 2024 में घटकर 12 रह गईं, लेकिन विधानसभा स्तर पर पार्टी को अब भी उम्मीद है। मध्य बंगा के इलाकों में RSS की बढ़ती पकड़ से BJP को लगता है कि वह हिंदू वोटों को एकजुट कर सकती है।

हालाँकि, 2021 के विधानसभा चुनाव में TMC ने 213 सीटें जीतकर BJP (77 सीटें) को करारी शिकस्त दी थी। ममता बनर्जी ने हाल ही में 215 से ज़्यादा सीटों का लक्ष्य रखा है, और “खेला अबर होबे” का नारा दोहराया है। ऐसे में RSS की मेहनत कितना असर डालेगी, यह बड़ा सवाल है।

RSS का हिंदुत्व से लेकर बांग्लादेश कार्ड

RSS ने बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमलों की निंदा की है और भारत में इसके खिलाफ जागरूकता फैलाने की योजना बनाई है। बंगाल में, जहाँ बांग्लादेश से लगती सीमाएँ और 27% मुस्लिम आबादी (2011 जनगणना) है, यह मुद्दा धार्मिक ध्रुवीकरण को बढ़ा सकता है। विश्लेषकों का कहना है कि RSS इस भावना का इस्तेमाल हिंदू वोटरों को लामबंद करने के लिए कर सकती है, खासकर उन इलाकों में जहाँ BJP पहले मज़बूत रही। मध्य बंगा के प्रचार प्रमुख सुषवन मुखर्जी ने कहा, “माहौल लोगों को अपनी जड़ों की ओर खींच रहा है।”

 

दिल्ली-महाराष्ट्र मॉडल बंगाल में?

हरियाणा, दिल्ली, और महाराष्ट्र में RSS की संगठनात्मक ताकत ने BJP को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई। दिल्ली में 2025 के विधानसभा चुनाव में BJP की शानदार जीत के बाद बंगाल BJP नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि 2026 में बंगाल की बारी है। RSS की शाखाएँ स्थानीय स्तर पर स्वयंसेवकों को जोड़कर सामुदायिक भावना पैदा करती हैं, जो बाद में वोटों में तब्दील हो सकती है। बंगाल में भी यही फॉर्मूला आज़माया जा रहा है, लेकिन यहाँ की जटिल सामाजिक और सांस्कृतिक बनावट इसे चुनौतीपूर्ण बनाती है।

RSS के लिए अभी भी कठिन क्यों है डगर?

RSS और BJP की राह आसान नहीं है। TMC का मज़बूत संगठन, ममता की लोकप्रिय छवि, और कल्याणकारी योजनाएँ (जैसे लक्ष्मीर भंडार) उसे ग्रामीण और महिला वोटरों में मज़बूत बनाती हैं। इसके अलावा, ममता ने BJP पर मतदाता सूची में हेरफेर का आरोप लगाया है, जिसके खिलाफ वह आंदोलन की धमकी दे चुकी हैं। दूसरी ओर, BJP के पास अभी तक ममता के सामने कोई “स्वीकार्य और शक्तिशाली” चेहरा नहीं है, जैसा कि RSS के प्रकाशन ‘स्वास्तिक’ में भी कहा गया था।

 

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