भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने हाल ही में कनाडा और अमेरिका के बारे में अपनी राय रखी है। उन्होंने यह बयान ‘एनडीटीवी वर्ल्ड समिट’ के दौरान दिया, जहां उन्होंने पत्रकार संजय पुगलिया से बातचीत की। इस बातचीत में उन्होंने बताया कि किस प्रकार कनाडा और अमेरिका भारत के लिए समस्या या चुनौती बन सकते हैं।
कनाडा की स्थिति
डॉ. जयशंकर ने कहा, “मैं यह नहीं कहूंगा कि पूरे पश्चिमी हिस्से को समझ नहीं है। वे समझते हैं, बहुत लोग एडजस्ट भी करते हैं। लेकिन कुछ लोग कम करते हैं, और मैं कहूंगा कि कनाडा इस मामले में पीछे है।” यह बयान उस समय आया है जब भारत और कनाडा के बीच हाल के दिनों में संबंधों में तनाव बढ़ा है।
भारत की चिंताएं
जयशंकर ने कनाडा में भारत के प्रति बढ़ते नकारात्मक भावनाओं का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि कनाडा में कुछ ऐसे तत्व हैं जो भारत के खिलाफ सक्रिय हैं और यह भारत के लिए चिंता का विषय है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत इस स्थिति को गंभीरता से ले रहा है और अपने हितों की रक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाएगा।
हालांकि, जब अमेरिका की बात आई, तो डॉ. जयशंकर ने कहा कि वहां की स्थिति थोड़ी अलग है। उन्होंने अमेरिका को अधिक संतुलित और समझदार बताया। उनका मानना है कि अमेरिका में भारत के प्रति एक सकारात्मक दृष्टिकोण है, जो दोनों देशों के रिश्तों को मजबूत करने में मदद कर रहा है।
विदेश नीति का महत्व
डॉ. जयशंकर ने यह भी स्पष्ट किया कि विदेश नीति में संतुलन बनाए रखना महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि भारत अमेरिका के साथ अपने संबंधों को और मजबूत करने के लिए प्रयासरत है, लेकिन कनाडा के साथ स्थिति को लेकर अधिक सतर्क रहने की जरूरत है।
इस बातचीत में विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि भारत को अपनी विदेश नीति को और अधिक प्रभावी बनाने की जरूरत है, ताकि वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी स्थिति को मजबूत कर सके। उन्होंने यह संकेत दिया कि भारत ऐसे देशों के साथ अपने संबंधों को फिर से परिभाषित करेगा जो उसके राष्ट्रीय हितों के खिलाफ हैं।
इस प्रकार, डॉ. एस जयशंकर का यह बयान भारत की विदेश नीति और संबंधों को लेकर एक महत्वपूर्ण टिप्पणी है, जो भविष्य में भारत की रणनीतिक दिशा को प्रभावित कर सकता है।