सकट चौथ 2025 के पूजा व्रत की तैयारी अब शुरू हो गई है। इस साल यह व्रत 17 जनवरी को मनाया जाएगा। माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सकट चौथ का पर्व विशेष रूप से महिलाओं द्वारा संतान सुख की प्राप्ति के लिए और संतान की लंबी उम्र की कामना में रखा जाता है। इसे अन्य नामों से भी जाना जाता है, जैसे तिलकुटा चौथ, वक्र-तुण्डि चतुर्थी, और माघी चौथ। इस दिन महिलाएं भगवान गणेश और सकट माता की पूजा करती हैं और व्रत करती हैं, जिससे उनके घर में खुशहाली बनी रहती है।
लेकिन पूजा में सफलता के लिए केवल श्रद्धा ही नहीं, बल्कि पूजा में प्रयोग होने वाली सामग्री का सही होना भी जरूरी है। यदि पूजा में कोई सामग्री गायब रह जाए, तो इसे अधूरी माना जाता है। इसलिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि सकट चौथ की पूजा में कौन-कौन सी सामग्री चाहिए और किसे लेकर पूजा करनी चाहिए, ताकि इस व्रत से मनोकामनाएं पूरी हो सकें।
सकट चौथ पूजा के लिए जरूरी सामग्री
सकट चौथ की पूजा में बहुत सी खास चीजें होती हैं, जिनका सही तरीके से उपयोग पूजा में करना चाहिए। आइए जानते हैं वो कौन सी सामग्री है जो बिना किसी भी पूजा में अधूरी मानी जाती है।
1. गणेश जी की मूर्ति
गणेश जी की पूजा के बिना सकट चौथ की पूजा अधूरी मानी जाती है। पूजा स्थल पर भगवान गणेश की मूर्ति को रखें, जिन्हें अच्छे से स्नान करा कर व्रत के समय पूजा करें।
2. लकड़ी की चौकी
गणेश जी की मूर्ति को रखने के लिए लकड़ी की एक चौकी जरूरी होती है। यह पूजा का मुख्य स्थान होता है।
3. पीला या लाल कपड़ा
सकट चौथ की पूजा में पीले या लाल रंग के कपड़े का इस्तेमाल होता है, जिसे चौकी पर बिछाया जाता है। इस कपड़े पर गणेश जी की मूर्ति स्थापित होती है।
4. जनेऊ
सकट चौथ की पूजा में जनेऊ भी एक महत्वपूर्ण वस्तु है। यह पूजा में पवित्रता का प्रतीक मानी जाती है।
5. सुपारी, पान का पत्ता, लौंग
सुपारी, पान का पत्ता और लौंग का भी विशेष महत्व है। ये वस्तुएं गणेश जी को चढ़ाई जाती हैं। साथ ही यह पूजा की शुद्धता को दर्शाती हैं।
6. तिल, पान और गाय का घी
तिल के लड्डू गणेश जी को चढ़ाए जाते हैं और साथ ही तिल और पान का भी पूजा में इस्तेमाल होता है। गाय के घी का दीपक जलाना भी महत्वपूर्ण होता है।
7. फूल माला और इलायची
फूल माला, खासकर लाल फूल, को गणेश जी को चढ़ाना चाहिए। इलायची का प्रयोग भी पूजा में किया जाता है। इनका उद्देश्य भगवान गणेश को प्रसन्न करना होता है।
8. गंगाजल
गंगाजल का प्रयोग पूजा के दौरान शुद्धता बनाए रखने और पुण्य अर्जित करने के लिए किया जाता है। गंगाजल को मूर्ति पर छिड़का जाता है।
9. लाल फूल और आरती किताब
लाल रंग के फूलों से गणेश जी की पूजा करने के बाद आरती की जाती है। इसके लिए आरती किताब का होना जरूरी है।
10. दूर्वा (21 गांठ)
गणेश जी को 21 गांठ दूर्वा अर्पित की जाती है, जो विशेष रूप से समृद्धि और सौभाग्य के लिए होती है।
11. रोली, मेहंदी, सिंदूर, अक्षत और हल्दी
यह सारी सामग्री पूजा के दौरान पवित्रता बनाए रखने और भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए उपयोग की जाती है। सिंदूर और हल्दी से पूजा स्थल को सजाया जाता है, जबकि अक्षत (चावल) और रोली से तिलक किया जाता है।
12. मौली और इत्र
मौली का उपयोग पूजा के दौरान तिलक करने में किया जाता है। इत्र का छिड़काव पूजा स्थल पर शुद्धता और पवित्रता बनाए रखने के लिए होता है।
13. अबीर और गुलाल
अबीर और गुलाल का भी महत्व होता है। यह पूजा को और अधिक रंगीन और शुभ बनाता है। साथ ही, यह सकट माता की पूजा में इस्तेमाल किया जाता है।
गणेश जी को भोग और चंद्रमा को अर्घ्य
गणेश जी को भोग: सकट चौथ के दिन भगवान गणेश को तिल के लड्डू, मोदक, तिल और खीर चढ़ाए जाते हैं। यह उनका पसंदीदा भोग होता है और पूजा के समय इसे अर्पित किया जाता है।
चंद्रमा को अर्घ्य देना: सकट चौथ की रात को चंद्रमा को अर्घ्य देना होता है। इसके लिए दूध, गंगाजल, कलश और चीनी का इस्तेमाल किया जाता है। चंद्र दर्शन के बाद ही व्रत का पारण किया जाता है।
संतान के सुख और समृद्धि के लिए सकट चौथ
सकट चौथ का व्रत संतान सुख और समृद्धि के लिए किया जाता है। इस दिन महिलाएं व्रत रखकर गणेश जी की पूजा करती हैं और सकट माता से परिवार की खुशहाली और संतान के सुख की प्रार्थना करती हैं। पूजा की विधि सही से करने से संतान के भाग्य में वृद्धि होती है और घर में सुख-शांति बनी रहती है।