उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले में तैनात मंडल आयुक्त आंजनेय कुमार सिंह और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के बीच 24 नवंबर को संभल में हुई हिंसा को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक दिलचस्प शायरी वॉर का दौर देखने को मिला है। इस हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई थी, हालांकि समाजवादी पार्टी की ओर से पांच मौतों का दावा किया गया। हिंसा के बाद, राजनीतिक दलों की ओर से संभल जाने का ऐलान किया गया था, लेकिन प्रशासन ने शांति बनाए रखने के लिए इस पर रोक लगा दी थी। अब इस मुद्दे पर दोनों के बीच चल रही शायरी की जंग ने पूरी घटना को एक नई दिशा दी है।
शायराना अंदाज में शुरू हुआ वार-पलटवार
संभल हिंसा पर पहले समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शायरी का सहारा लिया था, जिसके बाद मुरादाबाद के मंडल आयुक्त आंजनेय कुमार सिंह ने भी उन्हें शायराना अंदाज में जवाब दिया। इस शायरी के युद्ध में दोनों के पोस्ट पर लगातार प्रतिक्रियाएँ आ रही हैं।
मंडल आयुक्त आंजनेय कुमार सिंह ने अपनी शायरी में लिखा, “दुनिया में हूं, दुनिया का तलबगार नहीं हूं, बाजार से गुजरा हूं, खरीदार नहीं हूं। इस खाना-ए-हस्ती से गुजर जाऊंगा बे-लौस साया हूं, फकत नक्श-ब-दीवार नहीं हूं। गो दावा-ए-तक्वा नहीं दरगाह-ए-खुदा में बुत जिस से हों खुश, ऐसा गुनहगार नहीं हूं।” इस शायरी के जरिए उन्होंने अपनी बेगुनाही का इशारा किया और अपने आप को सिर्फ एक दर्शक बताया।
इसके बाद आंजनेय कुमार सिंह ने अपनी एक और शायरी में लिखा, “नेक लोगों में मुझे नेक गिना जाता है और गुनहगार, गुनहगार समझते हैं मुझे। मैं बदलते हुए हालात में ढ़ल जाता हूं, देखने वाले अदाकार समझते हैं मुझे। वो जो उस पार हैं इस पार मुझे जानते हैं। ये जो इस पार हैं उस पार समझते हैं मुझे।” इस पोस्ट में उन्होंने खुद को समय और हालात के हिसाब से बदलने वाला बताया, साथ ही यह भी कहा कि अलग-अलग लोग उन्हें अलग-अलग नजरिए से देखते हैं।
अखिलेश यादव का पलटवार
मंडल आयुक्त आंजनेय कुमार सिंह के इन शायराना अंदाज के बाद अखिलेश यादव ने भी सोशल मीडिया पर अपनी शायरी के माध्यम से जवाब दिया। उन्होंने लिखा, “झूठ को सच की मीठी चाशनी में लपेटकर खिलाने वाले आइने में कितना शर्मिंदा होंगे। अपना फर्ज न निभाने वाले।” इस शायरी में अखिलेश ने अधिकारियों पर आरोप लगाया कि वे जनता से झूठ बोलकर अपनी जिम्मेदारियों से बचने का प्रयास कर रहे हैं।
इससे भी आगे बढ़ते हुए अखिलेश यादव ने शनिवार शाम को एक और पोस्ट करते हुए कहा, “जो अपने गुनाह पर शायरी का पर्दा डालते हैं, वो सच में हैं कितने गुनहगार, खुद भी जानते हैं।” इस बयान में उन्होंने इस बात का इशारा किया कि कुछ लोग अपनी गलतियों को छुपाने के लिए शायरी का इस्तेमाल कर रहे हैं, जबकि वे जानते हैं कि वे कितने गुनहगार हैं।
हिंसा के बाद का राजनीतिक माहौल
संभल में 24 नवंबर को हुई हिंसा के बाद प्रशासन और राजनीतिक दलों के बीच टकराव बढ़ गया था। मस्जिद में सर्वे के दौरान हुई हिंसा ने पूरे इलाके में तनाव का माहौल बना दिया था, जिसके बाद प्रशासन ने शांति बनाए रखने के लिए राजनीतिक पार्टियों को संभल जाने से मना कर दिया था। जिलाधिकारी ने स्पष्ट कहा था कि जब तक हालात सामान्य नहीं होंगे, तब तक किसी को भी संभल आने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
इस हिंसा में चार लोगों की मौत हुई थी, और इसके बाद से राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई थी। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पहले पांच लोगों की मौत का दावा किया था, जबकि प्रशासन और पुलिस ने चार लोगों की मौत की पुष्टि की थी। इस असहमति ने स्थिति को और भी जटिल बना दिया था, और अब यह सोशल मीडिया पर एक शब्दों की जंग के रूप में फैल गया है।
शायरी के जरिए राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप
संभल हिंसा पर चल रही शायरी की जंग के बीच दोनों नेताओं ने एक दूसरे पर आरोप भी लगाए हैं। अखिलेश यादव ने जहां अधिकारियों पर अपनी जिम्मेदारी से भागने का आरोप लगाया, वहीं आंजनेय कुमार सिंह ने अपनी शायरी के जरिए अपनी बेगुनाही का दावा किया। इस युद्ध ने इस गंभीर मुद्दे को एक हल्के-फुल्के अंदाज में पेश किया है, जिससे राजनीति और प्रशासन के बीच का तनाव अब शायरी के माध्यम से बाहर आ रहा है।
यह जंग अब सोशल मीडिया पर काफी चर्चित हो चुकी है और दोनों के पोस्ट पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएँ आ रही हैं। कुछ लोग अखिलेश यादव की शायरी का समर्थन कर रहे हैं, जबकि कुछ लोग आंजनेय कुमार सिंह की शायरी को अधिक गहरा और विचारशील मानते हैं।