संभल की ऐतिहासिक मस्जिद के नाम को लेकर एक नया विवाद सामने आया है, जिससे हर किसी के मन में सवाल उठ रहे हैं। जहां एक ओर लोग इसे ‘जामा मस्जिद’ के नाम से जानते हैं, वहीं दूसरी ओर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने इसे ‘जुमा मस्जिद’ के नाम से मान्यता दी है। हाल ही में एक नया बोर्ड भी मस्जिद के पास स्थापित किया गया है, जिसमें इसका नाम जुमा मस्जिद लिखा हुआ है, जो अब चर्चा का केंद्र बन गया है।
क्या है मस्जिद का वास्तविक नाम: जामा या जुमा?
पहले से विवादों में चल रही संभल की शाही मस्जिद के नाम को लेकर पहले भी विवाद रहा है। हिंदू पक्ष इसे मंदिर के रूप में पहचानता है, जबकि मुस्लिम पक्ष इसे ‘जामा मस्जिद’ के नाम से जानता है। अब एएसआई के दस्तावेजों में इसे ‘जुमा मस्जिद’ कहा गया है, जिससे नया विवाद जन्म ले रहा है। मस्जिद के पास स्थित सत्यवृत पुलिस चौकी में हाल ही में एक नया बोर्ड लगाया गया है, जिस पर ‘जुमा मस्जिद’ लिखा गया है। यह बोर्ड अब मस्जिद के नाम को लेकर उठ रहे सवालों को और बढ़ा रहा है।
एएसआई का बोर्ड और दस्तावेजों में अंतर
एएसआई द्वारा मस्जिद पर लगाए गए नए बोर्ड पर साफ तौर पर ‘जुमा मस्जिद’ लिखा गया है, जिसके साथ ही भारत सरकार और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का नाम भी दर्ज है। इसके अलावा, बोर्ड पर ‘संरक्षित स्मारक’ के रूप में इस मस्जिद का उल्लेख किया गया है। वहीं, एएसआई के दस्तावेजों से यह भी स्पष्ट है कि इस मस्जिद का नाम जुमा मस्जिद है। इस बदलाव को लेकर अब यह सवाल उठने लगा है कि क्या मस्जिद का सही नाम ‘जुमा’ है या ‘जामा’?
इलाहाबाद हाईकोर्ट में चल रहा है मामला
यह मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट तक भी पहुंच चुका है। कोर्ट ने जामी मस्जिद संभल की प्रबंध समिति द्वारा दायर पुनरीक्षण याचिका की सुनवाई के दौरान यह सवाल उठाया था कि मस्जिद का असली नाम क्या है? एएसआई के वकील ने दलील दी थी कि मस्जिद के नाम के संबंध में दस्तावेजों में जुमा मस्जिद ही दर्ज है, और 1927 में हुए एक करार में भी इसे जुमा मस्जिद के रूप में ही उल्लेखित किया गया था। वहीं, याचिकाकर्ता के वकील एसएफए नकवी ने अदालत में दावा किया था कि मस्जिद का नाम ‘जामा मस्जिद’ है और वे इस संबंध में संशोधन अर्जी दाखिल करेंगे, हालांकि अभी तक ऐसा कोई कदम नहीं उठाया गया है।
नाम पर विवाद और उच्च न्यायालय की चुनौती
हाईकोर्ट ने यह भी कहा था कि अगर याचिका का नाम गलत है और यदि इसे सही नहीं किया गया तो यह याचिका खारिज की जा सकती है। इस पर अब मस्जिद के नाम को लेकर नए विवाद और न्यायालय की ओर से आगे की प्रक्रिया का इंतजार किया जा रहा है। आपको बता दें कि इस मस्जिद से जुड़ा यह विवाद केवल एक नाम तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके पीछे कई अन्य ऐतिहासिक तथ्य भी छिपे हुए हैं जो इसे और भी अधिक जटिल बनाते हैं।