संभल: जामा मस्जिद के पास मिला ‘मौत का कुआं’, इसी का पानी पीकर होती थी पूजा-पाठ की शुरुआत
उत्तर प्रदेश के संभल जिले में एक अजीब और रहस्यमयी कुएं की खोज की गई है, जिसे ‘मृत्यु कूप’ या ‘Death Well’ कहा जा रहा है। यह कुआं संभल शहर के सदर कोतवाली क्षेत्र के सरथल चौकी के पास मिला है। स्थानीय लोगों के मुताबिक, यह कुआं बेहद पुराना है और सदियों से धार्मिक महत्व रखता था। यह कुआं संभल की धरोहर माना जाता है और लोगों का मानना था कि इस कुएं का पानी पीकर ही पूजा-पाठ की शुरुआत होती थी।
कुआं जामा मस्जिद के पास स्थित है, जो संभल के प्रमुख धार्मिक स्थल में से एक है। इस कुएं का पता चलते ही इलाके में एक नई हलचल मच गई है, क्योंकि यह कुआं वर्षों पहले अतिक्रमण की वजह से बंद कर दिया गया था। करीब 30 साल पहले आसपास के लोगों ने इस कुएं के ऊपर कूड़ा और कबाड़ डालकर इसे बंद कर दिया था, लेकिन अब इस कुएं की खुदाई कराई जा रही है।
मृत्यु कूप का धार्मिक महत्व
कुआं जामा मस्जिद से महज डेढ़ सौ कदम की दूरी पर स्थित है और वह स्थान हिंदू बाहुल्य क्षेत्र के तहत आता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह कुआं 19 कूपों में से एक था और यहां से पानी पीकर ही श्रद्धालु पूजा करने के लिए जाते थे। ऐसा माना जाता था कि इस पानी से स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती थी। कुएं का पानी शुद्ध और पवित्र माना जाता था, और यह धार्मिक कार्यों का एक अनिवार्य हिस्सा था।
सभासद ने की शिकायत, खुदाई की प्रक्रिया शुरू
मृत्यु कूप की खुदाई के बाद इलाके में एक बार फिर से चर्चा का माहौल बना है। इस कुएं के बारे में पहले वार्ड सभासद गगन कुमार ने नगर पालिका और जिलाधिकारी (डीएम) से शिकायत की थी। उनके प्रयासों के बाद नगर पालिका की टीम ने गुरुवार को सुबह 8 बजे से इस कुएं की सफाई और खुदाई की प्रक्रिया शुरू की। खुदाई के दौरान यह कुआं बाहर आया, जो अब संभल की ऐतिहासिक धरोहर बन चुका है।
गगन कुमार ने इस कुएं के बारे में कहा कि यह प्राचीन कुआं है और संभल की पहचान के रूप में इसका संरक्षण किया जाना चाहिए। उनका कहना था कि इस कुएं का पानी पीने से भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती थी, और यह एक पवित्र स्थान माना जाता था। पहले की सरकारों में इस कुएं को कूड़े से भर दिया गया था, लेकिन अब इसे फिर से खोलने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
ASI की टीम की जांच और निरीक्षण
संभल के डीएम राजेंद्र पेसिया ने इस खुदाई की प्रक्रिया पर ध्यान दिया और एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) की टीम को मौके पर भेजा। एएसआई की टीम ने तीसरी बार संभल का दौरा किया और वहां के पुरातात्विक स्थल का निरीक्षण किया। पुरातत्व विभाग के अधिकारी प्राचीन अवशेषों की जांच कर रहे हैं और इनकी फोटोग्राफी भी कर रहे हैं।
डीएम राजेंद्र पेसिया ने कहा, “संभल एक प्राचीन नगर है और यहां के ऐतिहासिक अवशेषों का संरक्षण किया जा रहा है। इस नगरी में बहुत से ऐतिहासिक स्थल और धरोहर हैं जो आज भी दिखाई देते हैं। हमारी कोशिश है कि इनका संरक्षण किया जाए ताकि आने वाली पीढ़ियों को इनका लाभ मिल सके। एएसआई की टीम यहां पुरानी इमारतों और अवशेषों का गहन अध्ययन कर रही है।”
उन्होंने यह भी कहा कि इतिहास को संजोकर रखना जरूरी है क्योंकि यह हमारे अतीत को दर्शाता है और हमें यह बताता है कि हमारे पूर्वजों ने किस तरह से जीवन जिया था। यदि हम अपने इतिहास से मुंह मोड़ते हैं, तो इतिहास भी हमें भूल जाएगा। इसलिए यह जरूरी है कि हम अपनी धरोहर को संरक्षित करें और उसे सुरक्षित रखें।
कुआं और उसकी महत्ता: एतिहासिक दृष्टिकोण
संभल का यह कुआं सिर्फ पानी देने का एक साधारण स्रोत नहीं था, बल्कि धार्मिक दृष्टिकोण से यह एक महत्वपूर्ण स्थान था। इस कुएं का पानी पूजा की शुरुआत से जुड़ा हुआ था, और यही कारण था कि लोग इस कुएं से पानी लेकर अपने धार्मिक कर्तव्यों को निभाते थे। यह कुआं धार्मिक क्रियाओं का हिस्सा था और इसलिए इसे ‘मृत्यु कूप’ के नाम से जाना जाता था।
इतिहासकारों का मानना है कि इस कुएं का निर्माण कई सौ साल पहले हुआ था, जब संभल एक प्रमुख व्यापारिक और धार्मिक केंद्र हुआ करता था। अब इस कुएं की खोज और उसकी खुदाई ने संभल के प्राचीन इतिहास को फिर से जीवित कर दिया है। यह घटना ना केवल स्थानीय लोगों के लिए बल्कि पूरे संभल के लिए एक ऐतिहासिक महत्व रखती है।
आगे की योजना और संरक्षण
अब जबकि कुआं खुदाई के बाद सामने आ चुका है, इस स्थान के संरक्षण और सुरक्षा के लिए प्रशासन ने कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। एएसआई की टीम ने इस कुएं और आसपास के क्षेत्रों की जांच की है, और यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि इस स्थल को नुकसान न पहुंचे। स्थानीय प्रशासन और पुरातत्व विभाग की टीम इस कुएं को संरक्षित करने के लिए काम कर रही है, ताकि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक ऐतिहासिक धरोहर के रूप में कायम रहे।
संभल का इतिहास और उसकी धरोहर
संभल के इतिहास को लेकर डीएम राजेंद्र पेसिया का कहना है कि यह इलाका हमेशा से ही ऐतिहासिक महत्व का रहा है। यहां के प्राचीन कूपों, इमारतों और अन्य अवशेषों को संरक्षित करना न सिर्फ सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पूरे क्षेत्र के लिए गर्व की बात भी है।
अब इस कुएं के खुलने से संभल का इतिहास एक नए मोड़ पर आ गया है, और यह उम्मीद जताई जा रही है कि आने वाले समय में यह स्थान और भी बड़े ऐतिहासिक अनुसंधान का केंद्र बनेगा।