मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले में एक ऐसा गांव है जहां दिन की शुरुआत लोग एक-दूसरे को गुड मॉर्निंग, हाय हेलो या राम-राम बोलकर नहीं बल्कि, नमो-नम: बोलकर दिन की शुरुआत करते हैं। गांव का हर सदस्य आज भी संस्कृत में ही बात करता है।इस
इस गांव में आज भी हर कोई संस्कृत में करता है बात
हिंदुस्तान के दिल यानी मध्य प्रदेश का ये गांव आए दिन चर्चा (Hindu Muslims talk in Sanskrit) का विषय बना रहता है। आज एक ओर जिस तरह से टेक्नोलॉजी और अंग्रेजी भाषा लोगों पर हावी है, ऐसे समय में इस गांव के लोग संस्कृत में बखूबी बात करते हैं। गांव में महिलाएं, बच्चे, नौकरीपेशा लोग, दुकानदार और किसान सभी फर्राटेदार संस्कृत में ही बात करते हैं।
स्कूल में संस्कृत में होती है पढ़ाई
बड़ी बात यह है कि झिरी गांव में स्थित स्कूलों में संस्कृत को मुख्य भाषा माना जाता है। स्कूल में बच्चों को संस्कृत में ही पढ़ाया जाता है। स्कूल में पढ़ाई के अलावा गांव के मंदिर में बच्चों को इकट्ठा कर उन्हें खेल-खेल में संस्कृत भाषा सिखाने पर विशेष जोर दिया जाता है। इस गांव के बच्चों में भी संस्कृत भाषा को लेकर विशेष रुचि देखने को मिलती है। संस्कृत गांव झिरी को लेकर एक विशेष अध्याय लिखा गया है, जिसे मध्य प्रदेश पाठ्य पुस्तक में शामिल किया गया है।
हर घर के बाहर संस्कृत में श्लोक
सबसे खास बात यह है कि इस गांव में ग्रामीणों ने अपने घरों के नाम भी संस्कृत में ही रखे हैं। इस गांव के अधिकांश घरों के बाहर संस्कृत में गृहम ही लिखा गया है। इस गांव में घरों की दीवारों पर संस्कृत में ही श्लोक लिखे देखने को मिल जाएंगे। ग्रामीणों के अनुसार, इस गांव में संस्कृत भाषा को इतना सुदृढ़ बनाने में समाजसेविका विमला तिवारी का काफी योगदान रहा है। गांव में संस्कृत भाषा को लेकर विमला तिवारी ने काफी काम किया है।
मोबाइल के जमाने अगर आपको पुरातन (Sanskrit village Jhiri) काल में जीने का अनुभव करना चाहते हैं तो आज राजगढ़ जिले के झिरी गांव में आ सकते हैं। गांव में पहुंचते ही यहां के वातावरण और परिवेश में एक गजब की शांति और पवित्रता देखने को मिलती है। गांव में लोगों की बात सुनकर आप सहज ही अनुभव करने लगेंगे कि कहीं आप वैदिक काल में तो नहीं लौट गए हैं।
ग्रामीणों के अनुसार झिरी गांव में कई घरों के बाहर दीवार ‘संस्कृत गृहम’ लिखा गया है। जिस घर के बाहर दीवार पर संस्कृत गृहम लिखा गया है इसका मतलब यह है घर में रहने वाले सभी लोग संस्कृत में ही बात करते हैं। इस गांव में रहने वाले करीब 70 फीसदी लोग धारा प्रवाह संस्कृत में बात करते हैं। संस्कृत भाषा अपनाकर ग्रामीण अपनी जड़ों की तरफ लौटना चाहते हैं। यही वजह है कि ग्रामीण हिंदू संस्कारों या फिर धार्मिक कार्यों में संस्कृत मंत्रों का ही उपयोग करते हैं।