लखनऊ: एससीएसटी एक्ट में बदलाव की नाराजगी को दरकिनार करके बीजेपी ने पिछड़ों को लुभाने के लिए एक और दांव चल दिया है. एक तरफ केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार ने अन्य पिछड़ा आयोग (OBC) को संवैधानिक दर्जा दिलाकर इसे चुनावों में भुनाने की तैयारी में है तो वहीं दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश में बीजेपी चुपचाप पिछड़ी जातियों को एक-एक कर साधने में जुट गई है.
नयी बीजेपी की दिशा तो उसी दिन बदल गयी थी, ओबीसी को प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया था. शायद पिछले भाजपा के 10 वर्षों के वनवास ने उसे भी जातियों पर खेलना सिखा दिया था. सत्ता में आते ही शाह और मोदी की इस नयी भाजपा ने छोटे दलों के कटोरे की खीर को अपने ओर घसीटने का जैसे मन सा बना लिया था. अब भाजपा ने ओबीसी समुदाय को अपनी और आकर्षित करना शुरू कर दिया था, जिसकी वजह से छोटे दलों की मुश्किलें बढ़ने लगी थी.
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पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा को ओबीसी का समर्थन मिला था. लिहाजा पार्टी इस बार भी इस समर्थन को बरकरार रखने की कोशिश कर रही है. इसी कड़ी में पिछले संसद सत्र में सरकार ने संविधान संशोधन कर पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा भी दिया था. उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव से पूर्व भी लक्ष्मीकांत बाजपेयी को प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटा कर केशव प्रसाद मौर्य को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त करना भी ओबीसी को अपनी तरफ खींचना का एक दांव ही था.
इसी क्रम में आगे चलते हुए हाल ही में एससी-एसटी एक्ट प्रकरण में भाजपा ने अपने मूल वोट बैंक को दरकिनार करना ही शुरू कर दिया और सवर्णों के इतने आंदोलनों के बाद भी भाजपा ने उनको जरा सी भी तवज्जो नहीं दी. शायद भाजपा को कही न कही यह भी लगता है कि सवर्ण वोट बैंक उनकी जागीर है और वो कुछ भी कर लें वो उन्ही के पास आने वाला है.
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साथ ही मोदी ने आगामी जनगणना में ओबीसी को भी गिनने का फैसला लिया जो की अब तक नहीं होता आया है. आगामी चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) एक निर्णायक भूमिका निभा सकता है, जिसको ध्यान में रखते हुए शायद केंद्र सरकार ओबीसी समुदाय को उज्ज्वला गैस योजना का लाभ देने की तैयारी कर रहा है. इसके लाभार्थी के तौर पर ओबीसी परिवारों को भी गैस कनेक्शन मुफ्त दिए जाएंगे.
उज्जवला योजना ने 2017 के यूपी, उत्तराखंड समेत अन्न राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में अपना कमाल किया. अब वही मैजिक 2019 में भी बीजेपी दोहराना चाहती है, इसीलिए यूपी में एक के बाद एक जातिय सम्मेलनों का आयोजन किया जा रहा है. इसी को लेकर प्रदेश में पिछड़ी जातियों के सम्मेलन की जिम्मेदारी उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य को दी गई है. जो सभी जातियों के जातिवार सम्मेलन कर उन्हें पार्टी से जोडऩे की कोशिश में लगे हैं. हाल ही में यादवों को जोडऩे को लेकर कई बड़े फैसले लिए हैं. मैनपुरी में हरनाथ सिंह यादव को भाजपा ने हाल ही में राज्यसभा भेजा है. इसके साथ ही संगठन में युवाओं के सबसे बड़े संगठन में सुभाष यदुवंश को युवा मोर्चा का अध्यक्ष बनाया है. योगी आदित्यनाथ सरकार में भी गिरीश यादव को मंत्री बनाया गया.
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अब उज्जवला योजना भी पिछड़ों को लुभाने के लिए काम पर लगा दी गई है. पेट्रोलियम मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ओबीसी को उज्ज्वला गैस योजना के दायरे में लाने की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं. बस, सरकार के फैसले का इंतजार है. वहां से हरी झंडी मिलते ही ओबीसी परिवारों को कनेक्शन देना शुरू कर दिया जाएगा. केंद्र सरकार ने चार माह पहले प्रधानमंत्री उज्ज्वला गैस योजना का दायरा बढ़ते हुए लाभार्थियों की कुछ और श्रेणियां शामिल की थी. इसमें एससी/एसटी, प्रधानमंत्री आवास योजना, वनवासी और अति पिछड़ा वर्ग (एमबीसी) परिवारों को भी लाया गया था. अति पिछड़ा वर्ग (एमबीसी) बिहार और तमिलनाडु सहित एक-दो राज्यों में ही है. इसलिए ओबीसी में गरीब परिवारों को इसका पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में सरकार ओबीसी को भी उज्ज्वला गैस योजना के लाभार्थियों की सूची में शामिल करने की तैयारी कर रही है.