तारीख पर तारीख : उन तारीखों को भी देख लीजिए जब सुर्खियों में आई अयोध्या

अयोध्या में मंदिर मस्जिद विवाद का मुकदमा लड़ते लड़ते सवा सौ से ज्यादा का वक्त गुजर गया है. इस एक मुद्दे ने बड़े बड़े नेता बनाए, सरकारें बना दीं और गिरा दीं. श्रीराम के सहारे राजनीतिक पार्टियां देश के सत्ता सिघासन पर विराजमान हुई.

विवाद इस बात को लेकर है कि क्या हिंदू मंदिर को तोड़कर वहां मस्जिद बनाया गया या मस्जिद के रूप में बदल दिया गया. पौराणिक ग्रंथ रामायण से लेकर राजनीतिक गलियारे तक श्रीराम नाम की गुंज तो सुनाई पड़ती है पर स्वयं श्रीराम अयोध्या में वनवास झेल रहे हैं.

ना जाने कितनी पीढ़ियां इस उम्मीद में गुजर गई कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण होगा .लेकिन एक बात साफ है राम भक्तों को सिर्फ आश्वासन ही मिलाता रहा है और आगे भी मिले ऐसा कहा नहीं जा सकता.

जब सुर्खियों में आई  अयोध्या

1528 : बाबर अयोध्या में एक मस्जिद का निर्माण कराया जिसे बाबरी मस्जिद कहते हैं. हिंदुओं के  पौराणिक ग्रंथों रामायण और रामचरित मानस के अनुसार इसी जगह पर भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था.

1553 : हिंदुओं का आरोप है कि भगवान राम के मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण कराया गया था. इस मुद्दे पर पहली बार अयोध्या में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच हिंसा हुई.

1859 : ब्रिटिश काल में ब्रिटिश सरकार ने विवादित स्थल के चारों तरफ तारों की एक बाड़ खड़ी करके विवादित भूमि के आंतरिक और बाहरी परिसर में मुस्लिमों और हिंदुओं को अलग-अलग प्रार्थना करने करने की इजाजत दे दी.

1885 : राम जन्मभूमि और मस्जिद विवाद पहली बार अदालत में पहुंचा. महंत रघुबर दास ने फैजाबाद अदालत में बाबरी मस्जिद से लगे राम मंदिर निर्माण की इजाजत के लिए अपील दायर की.

1949 : 23 दिसंबर 1949 को विवादित ढांचे के अंगपर भगवान राम की मूर्ति रखी गई. इसके बाद उस स्थान पर हिंदू नियमित रूप से पूजा करने लगे. मुसलमानों ने नमाज पढ़ना बंद कर दिया.

1949 : मूर्ति रखे जाने और पूजा पाठ किए जाने बाद दोनों पक्षों में तनाव बढ़ता देख सरकार ने इसके गेट पर ताला लगा दिया.

1950 : 16 जनवरी 1950 को गोपाल सिंह विशारद ने फैजाबाद अदालत में एक अपील दायर कर रामलला की पूजा-अर्चना की विशेष इजाजत मांगी.

1950 : 5 दिसंबर 1950 को महंत परमहंस रामचंद्र दास ने हिंदू प्रार्थनाएं जारी रखने और विवादित ढांचे में राम मूर्ति को रखने के लिए मुकदमा दायर किया. मस्जिद को ‘ढांचा’ नाम दिया गया.

1959 : 17 दिसंबर 1959 को निर्मोही अखाड़ा ने विवादित स्थल हस्तांतरित करने के लिए मुकदमा दायर किया.

1961 : 18 दिसंबर को उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड ने विवादित ढांचे के मालिकाना हक के लिए मकदमा दायर किया.

1984 : विश्व हिंदू परिषद ने विवादित ढांचे के ताले को खोलने और राम जन्मस्थान को स्वतंत्र कराने व एक विशाल मंदिर के निर्माण के लिए अभियान शुरू किया. एक समिति का गठन किया गया.

1986 : 1 फरवरी 1986 को फैजाबाद जिला न्यायालय के न्यायाधीश ने विवादित स्थल पर हिंदूओं को पूजा करने की इजाजत दे दी. ताले दोबारा खोले गए. नाराज मुस्लिमों ने विरोध में बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी का गठन किया.

1989 : वीएचपी नेता देवकीनंदन अग्रवाल ने रामलला की तरफ से मंदिर के दावे का मुकदमा किया

1989 : जून 1989 में भारतीय जनता पार्टी ने विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) को औपचारिक समर्थन देना शुरू करके मंदिर आंदोलन को नया मोड़ दे दिया.

1989 : 1 जुलाई 1989 को भगवान रामलला विराजमान नाम से पांचवा मुकदमा दाखिल किया गया.

1989 : 9 नवंबर 1989 को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकार ने विवादित ढांचे के नजदीक शिलान्यास की इजाजत दी.

1990  : 25 सितंबर 1990 को बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ से एक रथ यात्रा शुरू की. इस यात्रा को अयोध्या तक जाना था. इस रथयात्रा से पूरे मुल्क में एक जुनून पैदा किया गया. इसके नतीजे में गुजरात, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश में दंगे भड़क गए. ढेरों इलाके कर्फ्यू की चपेट में आ गए. लेकिन आडवाणी को 23 अक्टूबर को बिहार में लालू यादव ने गिरफ्तार करवा लिया. नवंबर 1990 में रथ यात्रा लेकर निकले आडवाणी को बिहार के समस्तीपुर में गिरफ्तार कर लिया गया. बीजेपी ने इस घटना के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री वी.पी. सिंह की सरकार से समर्थन वापस ले लिया.

1990 :  कारसेवक मस्जिद के गुम्बद पर चढ़ गए और गुम्बद तोड़ा. वहां भगवा फहराया. इसके बाद दंगे भड़क गए.  
1991 :  जून में आम, चुनाव हुए और यूपी में  बीजेपी की सरकार बन गई.

1991 : अक्टूबर 1991 में उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह सरकार ने विवादित ढांचे के आस-पास 2.77 एकड़ भूमि को अपने अधिकार में ले लिया.

1992 : 30-31 अक्टूबर को धर्म संसद में कारसेवा की घोषणा हुई.1992 : नवंबर में कल्याण सिंह ने अदालत में मस्जिद की हिफाजत करने का हलफनामा दिया. लेकिन 6 दिसंबर 1992 को लाखों कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद गिरा दी. कारसेवक 11 बजकर 50 मिनट पर मस्जिद के गुम्बद पर चढ़े. करीब 4.30 बजे मस्जिद का तीसरा गुम्बद भी गिर गया. 5-6 दिसंबर को हजारों की संख्या में कार सेवकों ने अयोध्या पहुंचकर विवादित ढांचे को ढाह दिया. इसके बाद सांप्रदायिक दंगे हुए. जल्द बाजी में एक अस्थायी राम मंदिर बनाया गया.

1992  : 16 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचे की तोड़-फोड़ की जिम्मेदारी स्थितियों की जांच के लिए लिब्रहान आयोग का गठन किया गया.

2002 : जनवरी 2002 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने कार्यालय में एक अयोध्या विभाग शुरू किया. जिसका काम विवाद को सुलझाने के लिए हिंदुओं और मुसलमानों से बातचीत करना था.

2002 : अप्रेल 2002 अयोध्या के विवादित स्थल पर मालिकाना हक को लेकर उच्च न्यायालय के तीन जजों की पीठ ने सुनवीई शुरू की.

2003 : मार्च-अगस्त 2003 को इलाहाबाद हाई कोर्ट के निर्देशों पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने अयोध्या में खुदाई की. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का दावा था कि विवादित ढांचे के नीचे मंदिर के अवशेष होने के प्रमाण मिले हैं.

2003 : सितंबर 2003 को एक अदालत ने फैसला दिया कि विवादित ढांचे के विध्वंस को उकसाने वाले सात हिंदू नेताओं को सुनवाई के लिए बुलाया जाए.

2009 : जुलाई 2009 को लिब्रहान आयोग ने गठन के 17 साल बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अपनी रिपोर्ट सौंपी.

2010: 28 सितंबर 2010 को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट को विवादित मामले में फैसला देने से रोकने वाली याचिका खारिज करते हुए फैसले का मार्ग प्रशस्त किया.

2010 : 30 सितंबर 2010 को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने ऐतिहासिक फैसला देते हुए जमीन को तीन हिस्सों में बांटा जिसमें एक हिस्सा राम मंदिर, दूसरा सुन्नी वक्फ बोर्ड को और तीसरा हिस्सा निर्मोही अखाड़े को दी.

2011 : 9 मई 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी.

2016 : जुलाई 2016 को बाबरी मामले के पैरोकार सबसे उम्रदराज वादी हाशिम अंसारी का निधन हो गया.

2017 : उच्चतम न्यायालय ने 7 बाद निर्णय लिया कि 11 अगस्त 2017 से तीन न्यायाधीशों की पीठ इस विवाद की सुनवाई प्रतिदिन करेगी. लेकिन सुनवाई से ठीक पहले शिया वक्फ बोर्ड ने न्यायालय में याचिका दायर कर विवाद में पक्षकार होने का दावा किया और 70 वर्ष बाद 30 मार्च 1946 के ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती दी जिसमें मस्जिद को सुन्नी वक्फ बोर्ड की संपत्ति घोषित कर दिया गया था.

2018 : 29 अक्टूबर 2018 तो मामले पर जल्द सुनवाई पर इंकार करते हुए केस जनवरी तक के लिए टाल दिया.

2019 : 4 जनवरी 2019 को सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने अगली तारीख पर सुनावाई करने को कहा.

2019 : 10 जनवरी को सुप्रीमकोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ सुनवाई करते हउ 29 जनवरी की तारीख दी है.

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