आम आदमी पार्टी (AAP) के सीलमपुर से विधायक अब्दुल रहमान ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। इस्तीफा देने के पीछे की वजह थी उनका टिकट काटकर चौधरी जुबैर अहमद को उम्मीदवार बना देना। इससे नाराज होकर अब्दुल रहमान ने पार्टी पर आरोप लगाए हैं कि वह मुस्लिमों के मुद्दों को नजरअंदाज कर रही है और सिर्फ सत्ता की राजनीति में उलझी हुई है।
क्यों किया इस्तीफा?
AAP ने अपनी पहली लिस्ट में जब सीलमपुर से अब्दुल रहमान का नाम नहीं दिया और उनकी जगह जुबैर अहमद को टिकट दे दिया, तो उनका गुस्सा सातवें आसमान पर था। उन्होंने इस फैसले के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए पार्टी से इस्तीफा दे दिया। अब्दुल रहमान का कहना है कि पार्टी सत्ता की राजनीति में इतनी उलझी हुई है कि उसे मुस्लिमों के अधिकारों की कोई चिंता नहीं रही।
केजरीवाल पर भी साधा निशाना
इस्तीफे के बाद अब्दुल रहमान ने अरविंद केजरीवाल पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा, “केजरीवाल हमेशा अपनी राजनीति को आगे बढ़ाने के लिए जनता के असली मुद्दों से मुंह मोड़ लेते हैं।” इससे यह साफ हो गया कि उनका गुस्सा केवल पार्टी के फैसलों तक सीमित नहीं था, बल्कि वह केजरीवाल के नेतृत्व को लेकर भी नाराज थे।
पार्टी से नाराजगी पहले से थी
अब्दुल रहमान की पार्टी से नाराजगी कोई नई बात नहीं थी। पिछले एक महीने से वह AAP की नीतियों से असंतुष्ट थे। यह नाराजगी तब शुरू हुई थी जब जुबैर अहमद ने AAP जॉइन की थी। इसके बाद उन्होंने पार्टी की अल्पसंख्यक इकाई के प्रमुख पद से इस्तीफा दे दिया था। उनके इस्तीफे के बाद यह चर्चा तेज हो गई थी कि वह जल्द ही कांग्रेस जॉइन कर सकते हैं।
मुसलमानों के मुद्दों पर असहमत
अब्दुल रहमान का कहना है कि पार्टी ने हमेशा मुसलमानों के असली मुद्दों को नजरअंदाज किया। उनके मुताबिक, AAP के नेताओं ने मुस्लिम समुदाय की समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया और केवल सत्ता की राजनीति में ही उलझे रहे। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी के अंदर जातिवाद और धर्म के आधार पर राजनीति हो रही है, जो उनके लिए बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है।
आगे क्या होगा?
अब सवाल यह उठता है कि अब्दुल रहमान का अगला कदम क्या होगा? क्या वह कांग्रेस में शामिल होंगे, जैसा कि कुछ रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है, या फिर अपनी अलग राजनीतिक यात्रा शुरू करेंगे, यह देखना होगा। फिलहाल, उन्होंने यह साफ कर दिया है कि वह अपनी लड़ाई जारी रखेंगे और हक और इंसाफ के लिए काम करते रहेंगे।
AAP के लिए नया संकट
अब्दुल रहमान का इस्तीफा AAP के लिए बड़ा झटका है। पार्टी के अंदर की नाराजगी और असंतोष को देखते हुए यह सवाल उठ रहा है कि पार्टी को अपनी नीतियों पर फिर से विचार करने की जरूरत है। अगर पार्टी ने अपनी रणनीतियों में बदलाव नहीं किया तो आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में यह उसके लिए नुकसान का कारण बन सकता है।
आम आदमी पार्टी की मुश्किलें बढ़ीं
AAP के लिए यह समय मुश्किलों से भरा हुआ हो सकता है। पार्टी को न केवल पार्टी के भीतर के असंतुष्ट नेताओं से निपटना होगा, बल्कि उसे अपनी नीतियों में भी सुधार करना होगा, खासकर अल्पसंख्यक समुदाय के मुद्दों को लेकर। यह देखना होगा कि क्या पार्टी अपनी छवि को सही कर पाएगी या नहीं।