महिला आयोग ने किया इंटरनेशनल सेक्स रैकेट का भंडाफोड़, होटल से छुड़ाई गईं 39 लड़कियां

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नई दिल्ली: दिल्ली में महिला तस्करी के कारोबार का लगातार भंडाफोड़ हो रहा है. दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) ने मंगलवार देर रात पहाड़गंज इलाके के एक होटल से 39 लड़कियों का रेस्क्यू कराया. जिन्हें देश से बाहर भेजने की तैयारी की जा रही थी. दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल की अध्यक्षता में इस रेस्क्यू ऑपरेशन को चलाया जा रहा था. फिलहाल होटल में कैद सभी लड़कियों को सुरक्षित बाहर निकाला जा चुका है.

दरअसल दिल्ली महिला आयोग को इस बात की जानकारी मिली थी कि पहाड़गंज के एक होटल में नेपाल की कुछ लड़कियों को रखा गया है. इसी शिकायत के आधार पर ही महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने खुद रेस्क्यू ऑपरेशन चलाते हुए आधी रात को पुलिस टीम के साथ होटल पर छापा मारा था. इस ऑपरेशन के दौरान होटल से 39 लड़कियों को निकाला गया. इन लड़कियों को कुछ दिन पहले ही नेपाल से लाया गया था और विदेशों में भेजने की तैयारी थी. इस मामले में लड़कियों से की गई पूछताछ में इस बात का पता चला कि दलालों ने उनके पासपोर्ट अपने पास रख लिए थे और उन्हें होटल में ही कैद कर के रखा हुआ था.

नौकरी के झांसे में फंसीं महिलाएं

आयोग के अनुसार, इन नेपाली महिलाओं को नौकरियों का झांसा दिया गया और उन्हें पहले उत्तर प्रदेश के वाराणसी लाया गया. जुलाई के पहले हफ्ते में दो नेपाली महिलाएं तस्करी करने वालों के चंगुल से भागने में कामयाब रहीं. उन्होंने नेपाल में पुलिस को इस रैकेट के बारे में बताया, जिसके बाद नेपाल पुलिस ने नेपाल दूतावास से संपर्क किया.

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दूतावास की सूचना के आधार पर दिल्ली पुलिस और बनारस पुलिस ने संयुक्त अभियान के तहत राजधानी दिल्ली के मैदानगढ़ी इलाके से 18 लड़कियों को मुक्त कराया. ये लड़कियां ह्यूमन ट्रैफ्रिकिंग के लिए दिल्ली लाई गई थी. इन्हें भी पूर्व की तरह इराक और कुवैत भेजा जाना था. इस मौके पर दिल्ली महिला आयोग की टीम भी पुलिस टीम के साथ थी. बताया जाता है कि बनारस पुलिस की अपराध शाखा ने 23 जुलाई 2018 को 18 लड़कियों और महिलाओं को नेपाल से दिल्ली तस्करी करने और उनको खाड़ी देश भेजने की एफआईआर दर्ज की थी.

बनारस पुलिस दिल्ली आई और उन्होंने इसकी सूचना दिल्ली पुलिस और महिला आयोग को दी, मौके पर स्वाति मालीवाल भी पहुंची. मैदानगढ़ी में जहां छापा मारा गया वहां इन लड़कियों को कैद में रखा गया था. इस घर से 68 पासपोर्ट जब्त किए गए हैं, जिनमें से 61 नेपाली और 7 भारतीय थे.

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आयोग की अध्यक्षा स्वाति मालीवाल और सदस्या किरण नेगी ने उन लड़कियों से बात की. उन्होंने पहले तो बात करने से मना किया. मगर लड़कियों की काउंसलिंग करने के बाद उन्होंने बताया कि उन्हें नौकरी दिलवाने के नाम पर दिल्ली लाया गया था. इन लड़कियों में से 16 लड़कियां नेपाल से और 2 लड़कियां पश्चिम बंगाल से हैं. लड़कियों का कहना है कि वो बहुत गरीब हैं और नेपाल के भूकंप प्रभावी क्षेत्रों से आती हैं. उनमें से ज्यादातर ने भूकंप में अपने घर और परिवार वालों को खो दिया है. छुडवाई गई लड़कियों की उम्र 18 से 30 साल के बीच है.

मानव तस्करी का अड्डा दिल्ली

डीसीडब्ल्यू अध्यक्ष स्वाति ने कहा कि दिल्ली मानव तस्करी का अड्डा बन गई है. डीसीडब्ल्यू को इन रैकेट के बारे में पता चल जाता है, दूसरे राज्यों की पुलिस को इनके बारे में पता चल जाता है, मगर दिल्ली पुलिस सोती रहती है. बनारस पुलिस ने मुझे बताया कि मैदानगढ़ी के इस घर का इस्तेमाल पिछले कुछ वर्षों से लड़कियों की तस्करी के लिए किया जा रहा है. इसके बारे में स्थानीय पुलिस को कैसे पता नहीं होता? मैंने कई बार गृहमंत्री से अनुरोध किया है कि दिल्ली पुलिस की जवाबदेही तय की जाए, मगर वह ऐसा करने में असमर्थ रहे हैं.

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