केरल हाईकोर्ट ने कहा है कि यौन संबंधों के दौरान पत्नी की अनिच्छा और असहमति के बावजूद विकृत या असामान्य यौन व्यवहार शारीरिक और मानसिक पर करता है तो इसे क्रूरता की श्रेणी में रखा जाएगा। कोर्ट ने कहा कि यौन विकृति पर लोगों की धारणाएं अलग-अलग हो सकती है और पति-पत्नी की सहमति होने पर कोर्ट दखल नहीं कर सकता लेकिन यदि एक पक्ष दूसरे पक्ष को असामान्य यौन आचरण के लिए मजबूर करता है तो इसे शारीरिक और मानसिक क्रूरता कहा जा सकता है।
जस्टिस अमित रावल और जस्टिस सीएस सुधा की बेंच ने इस टिप्पणी के साथ परिवार अदालत के फैसले को उलटते हुए पत्नी की तलाक की याचिका मंजूर कर ली। याचिकाकर्ता पत्नी ने परिवार अदालत में पति के खिलाफ क्रूरता और परित्याग की शिकायत करते हुए तलाक की अर्जी लगाई थी जबकि पति ने दाम्पत्य अधिकारों की पुन:स्थापना का आवेदन किया था।
अदालत ने पत्नी की तलाक की अर्जी खारिज करते हुए पति का आवेदन स्वीकार कर लिया और पत्नी को पति के साथ रहने का आदेश दिया था। इस आदेश के खिलाफ पत्नी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में निचली अदालत में मुकदमे की सुनवाई के दौरान पत्नी से आपत्तिजनक और अशोभनीय प्रश्न पूछने को भी अनुचित माना।
हाईकोर्ट में अपील दायर करने वाली पत्नी और उसके पति की शादी 2009 में हुई थी। अपील में यह कहा गया कि पति सिर्फ 17 दिनों तक साथ रहने के बाद नौकरी करने के लिए विदेश चला गया था। पत्नी ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उन 17 दिनों में उसके पति ने उसके साथ सैक्सुअल गतिविधियों के दौरान यौन विकृतियों का प्रर्दशन किया। पति ने उसे अश्लील फिल्मों के दृश्यों की नकल करने को मजबूर किया और जब अपीलकर्ता यानी पत्नी ने आपत्ति जताई तो उसका शारीरिक शोषण किया गया।
पत्नी का यह आरोप था कि पति के विदेश जाने के बाद उसके ससुराल वालों ने उसे मायका छोड़ दिया और पारिवारिक अदालत में अपील करने से पहले कोई गुजारा भत्ता नहीं दिया। वहीं पति ने पत्नी द्वारा लगाए गए सभी आरोपों को एक सिरे से इनकार कर दिया। पति ने अपने जवाब में यह कहा कि पत्नी ने पहली अपील में रखरखाव और सोने के गहने वापस करने की मांग की थी लेकिन उसमें ये सभी आरोप नहीं लगाए गए थे। केरल हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई कर रहे मजिस्ट्रेट ने पति के वकीलों को अनावश्यक और अभद्र सवाल करने को लेकर कड़ी आपत्ति जताई। तथ्यों के मद्देनजर पत्नी को पति द्वारा यौन विकृति के आरोपों के आधार यानी क्रूरता के आधार पर तलाक दे दिया।