कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर इन दिनों अपनी ही पार्टी से नाराज चल रहे हैं। कभी पीएम मोदी की तारीफ कर तो कभी केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन की नीतियों की सराहना कर, उन्होंने पार्टी के अंदर हलचल मचा दी है। कांग्रेस के केरल संगठन ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए थरूर को नसीहत भी दी, जिससे मामला और गरम हो गया।
थरूर की नाराजगी के पांच बड़े कारण:
1. कांग्रेस में सियासी हाशिए पर हैं थरूर
शशि थरूर कांग्रेस के चार बार के सांसद हैं, लेकिन हाल ही में पार्टी ने उन्हें किसी महत्वपूर्ण पद पर नहीं रखा। कांग्रेस ने अपने संगठन में कई बदलाव किए, महासचिव और राज्यों के प्रभारी बदले, लेकिन थरूर को कोई जिम्मेदारी नहीं मिली। यह उनकी नाराजगी की बड़ी वजह बनी।
2. संसद में बोलने नहीं दिया जाता!
थरूर ने अपनी नाराजगी राहुल गांधी के सामने भी जाहिर की थी। उन्होंने कहा कि संसद में उन्हें महत्वपूर्ण बहसों के दौरान बोलने का मौका नहीं दिया जाता। कांग्रेस नेतृत्व उन्हें किनारे कर रहा है, जिससे उनकी भूमिका असमंजस में है।
3. कांग्रेस में ऊंचा मुकाम नहीं मिला
शशि थरूर लगातार 2009 से लोकसभा में हैं। मनमोहन सिंह के शासनकाल में वे विदेश राज्य मंत्री भी रहे, लेकिन कांग्रेस जब से विपक्ष में आई है, तब से उन्हें किसी बड़े पद पर नहीं बैठाया गया।
4. केरल में सीएम चेहरा नहीं बनना चाहते?
थरूर केरल में कांग्रेस के लिए बड़ी भूमिका चाहते हैं, लेकिन पार्टी उनके बजाय केसी वेणुगोपाल को अहमियत दे रही है। थरूर ने राहुल गांधी से इस बारे में चर्चा भी की, लेकिन उन्हें कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला।
5. ऑल इंडिया प्रोफेशनल कांग्रेस से हटाया गया
शशि थरूर को कांग्रेस के ऑल इंडिया प्रोफेशनल कांग्रेस संगठन के प्रमुख पद से हटा दिया गया। यह संगठन थरूर की ही बनाई हुई थी, जिससे उन्हें और ज्यादा झटका लगा।
थरूर की बगावत कांग्रेस को पड़ेगी महंगी?
शशि थरूर की तिरुवनंतपुरम सीट पर हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों में अच्छी पकड़ है। मोदी लहर में भी वे तीन बार सीट बचाने में सफल रहे, लेकिन पार्टी में उन्हें बड़ा मुकाम नहीं मिल पाया। केरल में अगले साल विधानसभा चुनाव हैं और कांग्रेस को वापसी करनी है। ऐसे में थरूर की नाराजगी पार्टी के लिए बड़ी मुश्किलें खड़ी कर सकती है।
थरूर के पास क्या विकल्प?
शशि थरूर ने साफ कहा कि वे कांग्रेस के साथ रहना चाहते हैं, लेकिन अगर पार्टी को उनकी जरूरत नहीं तो उनके पास और भी काम हैं। उन्होंने अपनी किताबें, भाषण और अंतरराष्ट्रीय आमंत्रणों का हवाला दिया। हालांकि, सियासी गलियारों में चर्चा है कि थरूर के पास बीजेपी और लेफ्ट दोनों के विकल्प खुले हुए हैं।