महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले, पुणे के शिरूर में शिवसेना (यूबीटी) को एक बड़ा झटका लगा है। पार्टी के पुणे जिला अध्यक्ष ज्ञानेश्वर (मौली) आबा काटके आज अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में शामिल हो गए। उन्होंने अपने कई प्रमुख कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर मुंबई में एनसीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजित पवार और प्रदेश अध्यक्ष सुनील तटकरे की उपस्थिति में एनसीपी का दामन थामा।
ज्ञानेश्वर काटके पहले शिरूर विधानसभा क्षेत्र के चुनाव समन्वयक, पुणे निर्माण विभाग के सदस्य और पुणे जिला परिषद के सदस्य के रूप में कार्य कर चुके हैं। उनका एनसीपी में शामिल होना उद्धव ठाकरे की शिवसेना के लिए एक बड़ा धक्का माना जा रहा है, क्योंकि शिरूर विधानसभा क्षेत्र को पुणे जिले के सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक माना जाता है।
अजित पवार का स्वागत
अजित पवार ने इस मौके पर कहा, “मैं ज्ञानेश्वर काटके और उनके कार्यकर्ताओं का एनसीपी में हार्दिक स्वागत करता हूं।” उन्होंने शिरूर क्षेत्र के अन्य नेताओं, जैसे कोलवाड़ी के सरपंच विनायक (भाई) गायकवाड, उपसरपंच नाना गुलाब गायकवाड और पेठगांव के सरपंच सूरज भालचंद्र चौधरी का भी एनसीपी में स्वागत किया। पवार ने सभी नए सदस्यों के लिए भविष्य के प्रयासों में शुभकामनाएं दीं।
सत्ता में चुनौती
अजित पवार की पार्टी एनसीपी वर्तमान में महायुति में बीजेपी और एकनाथ शिंदे की शिवसेना के साथ मिलकर सरकार चला रही है। सत्तारूढ़ महायुति का मुकाबला महाविकास अघाड़ी (एमवीए) से है, जिसमें कांग्रेस, उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) और शरद पवार की एनसीपी शामिल है। अजित पवार, जो इस समय डिप्टी सीएम हैं, के लिए विधानसभा चुनाव में अपनी साख बनाए रखना सबसे बड़ी चुनौती है, खासकर लोकसभा चुनाव में मिले झटके के बाद।
आगामी विधानसभा चुनाव
एनसीपी और शिवसेना के बीच में टूट के बाद यह पहला विधानसभा चुनाव है। विधानसभा चुनाव के लिए 20 नवंबर को वोट डाले जाएंगे और 23 नवंबर को नतीजे घोषित किए जाएंगे। ऐसे में ज्ञानेश्वर काटके का एनसीपी में शामिल होना महाविकास अघाड़ी के लिए एक चुनौती बन सकता है।
अभी यह देखना बाकी है कि उद्धव ठाकरे और उनकी पार्टी इस नए हालात का सामना कैसे करती है, लेकिन यह निश्चित है कि इस घटनाक्रम ने राजनीतिक समीकरणों को और जटिल बना दिया है।