मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना (शिंदे गुट) को बड़ी जीत मिली है, वहीं उद्धव ठाकरे गुट को करारी हार का सामना करना पड़ा है। इस हार के बाद उद्धव गुट के नेताओं ने अपनी भड़ास मुखपत्र ‘सामना’ के जरिए निकाली और महायुति की जीत को ‘बेइमानी’ और ‘अडानी राष्ट्र की साजिश’ करार दिया। सामना में प्रकाशित लेख में आरोप लगाया गया है कि चुनाव में धनबल का इस्तेमाल किया गया और समाज में जातिवाद का जहर घोला गया, ताकि इस जीत को वैध ठहराया जा सके।
अडानी राष्ट्र की साजिश?
सामना के लेख में यह भी कहा गया कि इस चुनाव की जीत के पीछे ‘अडानी राष्ट्र’ की साजिश है। लेख में दावा किया गया कि अमेरिकी जांच एजेंसियों ने अडानी के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी किया था, और उसी समय भाजपा ने अडानी के भ्रष्टाचार को समर्थन देने की कोशिश की। सामना के अनुसार, महाराष्ट्र की सार्वजनिक संपत्तियां अडानी के हाथों में दी जा रही हैं, और इस सबके पीछे मोदी सरकार और राज्य सरकार की मिलीभगत है। लेख में आरोप लगाया गया कि यह चुनाव परिणाम भी अडानी की प्रतिष्ठा को स्थापित करने के लिए रचा गया था।
सामना में यह लिखा गया कि महाराष्ट्र की राजनीति अब अडानी के हाथों में जा रही है और इस ‘अडानी राष्ट्र’ के उदय की खुशी सिर्फ उन्हीं को है जिनके लिए यह जीत अहमियत रखती है। इस जीत को एक प्रकार से धोखा बताया गया और यह कहा गया कि यह लोकतंत्र की हत्या के समान है।
चुनाव आयोग पर सवाल उठाए
शिवसेना के इस गुट ने चुनाव आयोग को भी निशाने पर लिया और आरोप लगाया कि चुनाव प्रचार में जातिवाद का जहर घोला गया, और चुनाव आयोग ने इस पर कोई आपत्ति नहीं जताई। सामना में यह भी लिखा गया कि चुनावी प्रक्रिया में पैसे का बेहिसाब इस्तेमाल हुआ, और इसे लोकतंत्र की हत्या के तौर पर देखा गया। साथ ही यह आरोप भी लगाया गया कि अगर पैसे के बल पर चुनाव जीते जा सकते हैं तो फिर लोकतंत्र की कोई अहमियत नहीं रह जाती।
किसानों की हालत और बेरोजगारी का मुद्दा
सामना के लेख में बीजेपी सरकार को घेरते हुए किसानों और बेरोजगारों के मुद्दे को भी उठाया गया। लेख में कहा गया कि महाराष्ट्र के किसान कर्ज तले दबे हुए हैं और आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं। साथ ही प्याज, टमाटर और दूध जैसी चीजें सड़कों पर फेंकी जा रही हैं। वहीं, गुजरात में उद्योगों को ले जाने से महाराष्ट्र के युवा बेरोजगारी का शिकार हो रहे हैं। सामना में यह सवाल उठाया गया कि इन हालातों में कैसे लोग सरकार के प्रति प्रेम महसूस कर सकते हैं और कैसे यह असंवैधानिक सरकार फिर से जीत गई।
सामना ने यह भी लिखा कि हाल ही में लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र ने अपनी ताकत दिखाते हुए मोदी-शाह की राजनीति को हराया था, लेकिन विधानसभा चुनाव के नतीजे पूरी तरह से बदल गए और राज्य की महानता खत्म होती दिखी। यह नतीजे महाराष्ट्र की अस्मिता के लिए एक बड़ा झटका साबित हो रहे हैं, जिससे यह महसूस हो रहा है कि राज्य की पहचान धीरे-धीरे खत्म हो रही है।