लखनऊ: समाजवादी पार्टी के बागी नेता शिवपाल सिंह यादव अपने सेक्युलर मोर्चा के जरिए सियासी चाल चल रहे हैं. भतीजे अखिलेश यादव को सबक सिखाने के लिए वो सेक्युलर मोर्चे के साथ छोटे दलों को जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. वह वक्त आने पर बहुजन समाज पार्टी से गठबंधन की बात भी कर चुके हैं. बड़ी खबर ये है कि अब मायावती के खेमे से भी उनके साथ गठबंधन की खबरें आ रही हैं. अगर ऐसा हुआ तो 2019 में अखिलेश यादव का खेल बिगड़ सकता है.
मायावती से मिले सकारात्मक संकेत !
सूत्रों के मुताबिक बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने अखिलेश यादव से साफ कह दिया है कि वो अपने चाचा शिवपाल सिंह यादव से समझौता करें. मायावती इस संभावना को भी टटोल रही हैं कि समझौता न होने की सूरत में अखिलेश की बजाए शिवपाल सिंह यादव की पार्टी से हाथ मिलाया जा सके. ऐसी सूरत में ना सिर्फ शिवपाल सिंह यादव मजबूत होंगे बल्कि मायावती को भी सियासी फायदा होगा. उस सूरत में बीएसपी ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ पाएगी और पीएम पद पर मायावती का दावा मजबूत होगा. अगर मायावती ने शिवपाल से हाथ मिलाया तो अखिलेश की उम्मीदों को झटका लगना तय है. तब अखिलेश के सामने कांग्रेस के साथ जाने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचेगा. फिलहाल शिवपाल सिंह सधे कदमों से सियासी चाल चल रहे हैं. अखिलेश से समझौता हो या न हो दोनों सूरत में उन्हें अपना फायदा नजर आ रहा है.
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बीएसपी से गठबंधन कर सकते हैं शिवपाल
कुछ दिनों पहले बस्ती में शिवपाल सिंह यादव बीएसपी से गठबंधन की बात कह चुके हैं. गठबंधन के सवाल पर शिवपाल ने कहा था कि, “हमारे साथ छोटी-छोटी लगभग 45 पार्टियां हैं लेकिन वक्त आने पर हम बहुजन समाज पार्टी से भी गठबंधन कर सकते हैं.” शिवपाल यादव पहले से ही समाजवादी पार्टी के उपेक्षित नेताओं से मुलाकात कर अपने पांव जमाने की कोशिश कर रहे हैं. शिवपाल के कार्यक्रमों में कई ऐसे नेता भी पहुंच रहे हैं जो समाजवादी पार्टी में उपेक्षा के कारण निराश और नाराज चल रहे हैं. शिवपाल अब भी दावा कर रहे हैं कि सपा संरक्षख मुलायम सिंह यादव का आशीर्वाद उनके साथ है.
अखिलेश बर्खास्त कर दें, फर्क नहीं पड़ता
शिवपाल अपने मोर्चे को मजबूत बनाने के लिए प्रदेश भर का दौरा कर रहे हैं. बाराबंकी में ऐसे ही एक कार्यक्रम में उनसे सवाल किया गया कि उन्होंने सेक्युलर मोर्चा बना लिया लेकिन अब भी सपा के विधायक बने हुए हैं. क्या उन्हें इस बात का इंतजार है कि अखिलेश पार्टी से निकालें और वो सियासी फायदा ले सकें. इसके जवाब में शिवपाल ने कहा कि, “अखिलेश मुझे पहले भी सपा से निकाल चुके हैं, एक बार और बर्खास्त कर दें, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता.” शिवपाल ने एक बार फिर समाजवादी पार्टी से अलग होने पर सफाई दी. उन्होंने कहा कि उनका सपा में सम्मान नहीं था इसलिए नया मोर्चा बनाना पड़ा.