लखनऊ: मुलायम सिंह के साथ कंधे से कंधा मिलाकर समाजवादी पार्टी की जड़ें मजबूत करने वाले शिवपाल सिंह यादव ने अब अलग राह पकड़ ली है. सियासत के अखाड़े के पुराने खिलाड़ी शिवपाल ने लोकसभा चुनाव में पूरी तैयारी के साथ ताल ठोकने की तैयारी कर ली है. शिवपाल ने अपने समाजवादी सेक्युलर मोर्चे के गठन की औपचारिकताएं पूरी करने की कवायद तेज कर दी है. शिवपाल की टीम राजनीतिक दल के गठन के लिए चुनाव आयोग की चौखट पर दस्तक भी दे चुकी है.
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‘चक्र’ चुनाव चिह्न चाहते हैं शिवपाल!
सूत्रों के मुताबिक शिवपाल उस वक्त से अलग सियासी पार्टी बनाना चाहते थे जब समाजवादी कुनबे में तकरार शुरू हुआ था. साल 2017 में जब चाचा और भतीजा आमने-सामने आ गए थे उस वक्त शिवपाल ने नई पार्टी के लिए आवेदन किया था. समझौते की उम्मीद में अब तक वो सियासी पार्टी के गठन पर गंभीर नहीं थे लेकिन अब तेजी से औपचारिकताएं पूरी करना चाहते हैं. सूत्रों के मुताबिक शिवपाल ने जनता दल के चुनाव चिह्न रहे चक्र पर दावा ठोका है जिसे चुनाव आयोग जब्त कर चुका है. अगर शिवपाल मुलायम की पार्टी रही जनता दल का चुनाव चिह्न हासिल करने में कामयाब रहे तो ये उनकी बड़ी जीत होगी.
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शिवपाल की नजर पुराने समाजवादियों पर
नई पार्टी बनाने के साथ ही शिवपाल ने संगठन मजबूत करने पर भी जोर लगा दिया है. शिवपाल की नजर पुराने समाजवादियों पर है जो अखिलेश के कमान संभालने के बाद खुद को सपा में उपेक्षित महसूस कर रहे हैं. शिवपाल ने सपा से दूर किए जा रहे लोगों से संपर्क अभियान भी शुरू कर दिया है. अभियान के तहत वह मुलायम के करीबी रहे वरिष्ठ समाजवादी नेता भगवती सिंह से मुलाकात भी कर चुके हैं. शिवपाल ने न केवल उन्हें समाजवादी सेक्युलर मोर्चा का झंडा दिया बल्कि उन्हें अपने साथ रहने के लिए आशीर्वाद भी लिया. शिवपाल के सेक्युलर मोर्चा के मंडल प्रभारियों का पहले ही एलान किया जा चुका है, अब जिला स्तर तक संगठन की जड़ें फैलाई जा रही हैं.
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शिवपाल कैसे बढ़ाएंगे अखिलेश की मुश्किल ?
शिवपाल यादव ने अपनी ताकत बढ़ाने के लिए सेक्युलर मोर्चा के साथ छोटे दलों को जोड़ने की योजना बनाई है. उनकी कोशिश दलितों और पिछड़ों को लामबंद करने की है. इसके लिए शिवपाल प्रदेश भर में रैली और जनसभाएं करेंगे. रैलियों में पिछड़े और दलित वर्ग के प्रभावशाली लोगों को भी बुलाने की योजना है. शिवपाल के सेक्युलर मोर्चा की नजर उसी वोट बैंक पर है जिस पर सपा दावा ठोंकती रही है. अक्टूबर से शिवपाल यादव मोर्चे के मंडलीय सम्मेलन शुरू करेंगे. पहला मंडलीय सम्मेलन मेरठ में करने का मोर्चा पहले ही ऐलान कर चुका है. यानी शिवपाल का जोर दलित, पिछड़े और मुस्लिम समाज पर है. यही वर्ग समाजवादी पार्टी का वोट बैंक भी है. अखिलेश को डर है कि शिवपाल के सेक्युलर मोर्चे के कारण उनके वोट बैंक में सेंध लग सकती है. शायद इसीलिए अखिलेश का पूरा जोर मुलायम को अपने साथ बनाए रखने का है. मुलायम को अपने मंच पर लाकर अखिलेश शुरुआती बढ़त ले चुके हैं लेकिन जमीनी सियासत करने वाले शिवपाल आसानी से हार मानने को तैयार नहीं हैं.