‘सास-बहू’ के समान रिश्ते वाले शिवसेना-बीजेपी गठबंधन में आए दिन कुछ न कुछ नोकझोंक देखने को मिलती ही रहती है. जब-जब सरकार की ओर से कोई बड़ा निर्णय लिया जाता है तो शिवसेना की ओर से उसमें कमी निकालना आम बात हो गई है.
सवर्ण आरक्षण को संसद से ग्रीन सिग्नल मिलने के एक दिन बाद शिवसेना ने सरकार पर तीखा हमला और सवाल दोनों किए हैं. शिवसेना ने सरकार से सवाल पूछा है कि सरकार आरक्षण तो दे रही है लेकिन इतनी नौकरियां कहां से लाएगी?
बीजेपी पर आरक्षण कार्ड खेलने का आरोप
शिवसेना ने पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ में लिखा कि जब सत्ता में बैठे लोग रोजगार और गरीबी दोनों मोर्चो पर विफल होते हैं, तब वे आरक्षण का कार्ड खेलते हैं. पार्टी ने बीजेपी को चेतावनी दी कि अगर यह एक चुनावी चाल है तो यह उन्हें महंगा साबित होगी.
सामना में सरकार पर तंज कसते हुए कहा गया कि पिछले दो सालों में नौकरी के अवसर बढ़ने के बजाय कम हुए हैं. ‘नोटबंदी’ और ‘जीएसटी’ लागू किए जाने के कारण करीब डेढ़ से लेकर दो करोड़ नौकरियां गई हैं. युवाओं में लाचारी की भावना है.
सामना में सरकार की नीति पर चुटकी लेते हुए कटाक्ष किया गया कि सरकार के 10 प्रतिशत आरक्षण के बाद क्या योग्य युवा कुछ हासिल कर पाएंगे? युवाओं को पकौड़ा तलने की सलाह देने वाले पीएम को आखिरकार आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों को 10 प्रतिशत आरक्षण देना ही पड़ा.