मथुरा श्रीकृष्ण जन्मस्थान मामले ने अब एक नया मोड़ ले लिया है, जी हां इस मामले में मंगलवार को कानून की 7 छात्राओं ने तथा दिल्ली लखनऊ हाई कोर्ट के वकीलों ने जिला जज की अदालत में एक नई याचिका दायर की, जिसके अंतर्गत 13.37 एकड़ जमीन पर दावा किया गया है तथा जमीन के इस हिस्से से ईदगाह और मस्जिद दोनों को हटाने की मांग की गई है।
इन छात्राओं और अधिवक्ताओं ने मिलकर सीपीसी की धारा 92 को आधार मानते हुए दावा पेश किया है। इस प्रार्थना पर न्यायाधीश ने सुनवाई की और जमीन के मालिकाना हक संबंधी कागजात मांगे। अदालत ने सभी को जमीन के मालिकाना हक के कागजात पेश करने के लिए 25 मई की तारीख तय की है।
दरअसल श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में ये नया दावा , वाराणसी ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे के बाद आया है। इसमें दावा करने वालों में शामिल कानून छात्रा उपासना सिंह, अनुष्का सिंह, नीलम सिंह साधना सिंह, अंकिता सिंह, डॉ. शकुंतला मिश्रा (लखनऊ विश्वविद्यालय), दिव्या निरंजन (आईसीएएफएआई देहरादून) के साथ इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के अधिवक्ता अंकित तिवारी एडवोकेट, वरुण कुमार मिश्रा, शैलेंद्र सिंह, दिल्ली हाईकोर्ट के अधिवक्ता रंजन कुमार रॉय है।
उधर इसी मामले में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष एडवोकेट महेन्द्र प्रताप सिंह ने अदालत से ईदगाह को सील करने की मांग की है। इस पर भी अदालत अपनी सुनवाई 1 जुलाई को करेगी।
महेन्द्र प्रताप सिंह ने वाराणसी ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे का हवाला देते हुए यह दावा किया है कि जिस तरह वहां सर्वे के बाद शिवलिंग मिला है, यहां भी मंदिर अवशेष मिल सकते है। इसलिए ईदगाह को सील किया जाए ताकि किसी भी तरह से सबूत के साथ छेड़खानी न हो सके। इससे संबंधित महेंद्र प्रताप ने मंगलवार को एक प्रार्थना पत्र सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में दिया।