लखनऊः कभी दिल्ली में मीडिया के सवालों का जवाब देने वाले सिद्धार्थनाथ सिंह जब से यूपी में कैबिनेट मंत्री बने हैं. विवादों में रहना उनकी आदत हो गई है. कभी बारिश में टपकते बंगले का वीडियो ट्विटर पर डालते हैं, कभी बड़े बंगले की मांग करते है, तो कभी स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को भ्रष्ट कह देते हैं. इससे सरकार की तो किरकिरी हो ही रही है. साथ ही जनता को भी मुश्किलों का सामना करने की नौबत आ सकती है. ऐसी ही एक मुसीबत सिद्धार्थनाथ सिंह के एक बयान की वजह से आने वाली थी, शुक्र है मंत्री ने अपना बयान वापस लिया और सफाई देकर स्वास्थ्य सेवाओं में हड़ताल की वजह से बच गए.
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लखनऊ समेत पूरे प्रदेश में होने वाले यूपी के स्वास्थ्य मंत्री के खिलाफ राज्य कर्मचारियों और राजकीय फार्मासिस्ट महासंघ के आंदोलन को कर्मचारियों ने टालने का फैसला किया है. जिसको लखनऊ समेत पूरे प्रदेश के जिला मुख्यालयों में किया जाना था. दरअसल आंदोलन की वजह स्वास्थ्य मंत्री का वो बयान था. जिसमें उन्होने कहा था कि विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार की जड़ महकमें के कर्मचारी है. ये बात जब कर्मचारियों को पता चली तो उन्होंने स्वास्थ्यमंत्री के खिलाफ मोर्चा खोलने का निर्णय लिया.
सिद्धार्थनाथ सिंह ने मेरठ के दौरे पर कर्मचारियों की मीटिंग ली थी. इस दौरान उन्होंने कहा था कि महकमें में बाबू और फार्मासिस्ट का नैक्सेस है, जिसको तोड़ना मुश्किल है. मैं अपनी मर्जी से एक ट्रांस्फर पोस्टिंग नहीं कर सकता. इनके नैक्सेस की वजह से विभाग बदनाम है.
कर्मचारियों की नाराजगी और आंदोलन की तैयारी की भनक जैसे ही सिद्धार्थनाथ सिंह को लगी. मामले को मैनेज करने में जुट गए. डैमेज कंट्रोल के लिए सिद्धार्थनाथ सिंह ने प्रमुख सचिव स्वास्थ्य को कर्मचारियों तक संदेश पहुंचाने से साथ अपील करने के लिए भेजा. सिद्धार्थनाथ सिंह ने अपने संदेश में कहा कि मेरे बयान को गलत तरीके से लिया गया है. मैने महकमें के कर्मचारियों को भ्रष्टाचार की वजह नहीं बताया है.
उनकी इस सफाई और प्रमुख सचिव स्वास्थ्य के समझाने के बाद कर्मचारी बड़ी मुश्किल से माने और अपने आंदोलन को वापस लिया. प्रमुख सचिव स्वास्थ्य ने मंत्री के बाबत बताया कि उनको अपने कर्मचारियों पर भरोसा है. उन्होंने कर्मचारियों की छवि धूमिल करने की कोई बात नहीं कही है.
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सिद्धार्थनाथ सिंह और उनके विवाद
- ये पहला मौका नहीं है जब सिद्धार्थनाथ सिंह किसी विवाद में फंसे हो. इससे पहले गोरखपुर के बीआरडी में हुई बच्चों की मौत के मामले में अगस्त के महीने में मौतें होती है. जैसा शर्मनाक बयान देकर सरकार की किरकिरी कराई थी.
- सिद्धार्थनाथ सिंह का एक पत्र सोशल मीडिया में लेटर वायरल हुआ था. जिसमें उन्होने स्वास्थ्य महकमे के बड़े अधिकारी को पत्र लिखकर घर में तीन बड़ी एलईडी टीवी की मांग की थी. पत्र उनके निजी सचिव के द्वारा लिखा गया था. जिसके बाद माफी और सफाई भी दी थी.
- सिद्धार्थनाथ सिंह का ऐसी और बंगले की मांग का भी प्रसंग काफी उछला था. सिद्धार्थनाथ सिंह की नजर अखिलेश यादव के बनाए बंगले पर थी. जिसके लिए बकायदा मंत्री ने पत्र लिखकर सरकार से मांग की थी की मिलने वालों की संख्या अधिक होने से उनका बंगला छोटा है. ऐसे में बड़ा बंगला अलॉट किया जाए.
सिद्धार्थनाथ ने पत्र में बंगला संख्या-4 और 5, विक्रमादित्य मार्ग का जिक्र करते हुए दोनों में से किसी एक को आवंटित करने की मांग की है. 4, विक्रमादित्य मार्ग अखिलेश यादवऔर बंगला संख्या 5, मुलायम सिंह यादव को आवंटित था. बता दें कि अखिलेश यादव के बंगले को सजाने में सरकारी खजाने से 42 करोड़ रुपये की धनराशि खर्च हुई थी.