कानपुर: 1984 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) की हत्या के बाद कानपुर में हुए सिख दंगों (Sikh Riots) के मामले में विशेष जांच दल (SIT) को अहम सबूत मिले हैं. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने साल 2019 में एक एसआईटी का गठन किया था. एसआईटी टीम इस मामले की जांच कर रही है. टीम ने एक घर का ताला तोड़ा. इसमें से मानव अवशेषों सहित कई सारे अहम सबूत इकट्ठा किए गए हैं. कानपुर में हुए दंगों के मामले में यह पहली जांच है. दिल्ली के बाद सबसे अधिक दंगे कानपुर में हुए थे. कानपुर में हुए दंगों में 127 लोगों को मौत हुई थी.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक कानपुर के गोविंद नगर इलाके में एक नवंबर 1984 को कारोबारी तेज प्रताप सिंह (45) और उनके बेटे सतपाल सिंह (22) की घर के अंदर हत्या कर दी गई. दंगाईयों ने दोनों के शव को घर के अंदर ही जला दिया था. उनके परिवार में जितने भी सदस्य बचे थे वह शरणार्थी शिविर में रहने चले गए. परिवार के लोग अपना घर बेचकर पंजाब और दिल्ली रहने चले गए. इस मकान को जिसने खरीदा था, वह भी कभी उस कमरे में नहीं गया जहां शवों को जलाया गया था. एसआईटी को जब इसकी जानकारी मिली तो उसने कमरे से कई अहम सबूत जुटाए हैं.
योगी सरकार ने किया था एसआईटी का गठन
योगी सरकार ने सत्ता में आने के बाद 2019 में एसआईटी का गठन किया. तेजप्रताप की पत्नी और दूसरे बेटे की पत्नी ने कानपुर छोड़ने के बाद कुछ अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या और डकैती समेत अन्य धाराओं में मामला दर्ज कराया था. एसआईटी ने तेज प्रताप सिंह के जीवित बेटे चरणजीत सिंह (61) का बयान भी मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज कराया. चरणजीत अपनी पत्नी और परिवार के साथ दिल्ली में रहते हैं. तेज सिंह की पत्नी का कुछ साल पहले निधन हो गया था.
बेटे ने छुपकर देखा का पूरा मंजर
एसआईटी की जांच के मुताबिक, 1 नवंबर 1984 को भीड़ ने तेज प्रताप सिंह के घर में घुसकर उन्हें और सतपाल को पकड़ लिया और उनकी हत्या कर शव को जला दिया. जिस समय भीड़ उनके घर में घुसी उस वक्त परिवार के अन्य सदस्य छुप गए थे इसलिए वह बच गए. दोनों की हत्या करने के बाद घर में लूटपाट भी की गई थी. जांच अधिकारी ने बताया कि चरणजीत सिंह ने पूरी घटना छुपकर देखी थी और इस हत्या में शामिल कुछ लोगों के नाम भी बताए थे.