मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPM) के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी का 72 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वे पिछले कुछ समय से बीमार थे और दिल्ली के एम्स अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी हालत गंभीर हो गई थी। 19 अगस्त को उन्हें एक्यूट रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इंफेक्शन के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन कृत्रिम श्वसन प्रणाली पर होने के बावजूद उनकी सेहत में कोई सुधार नहीं हुआ और गुरुवार को उनका निधन हो गया।
येचुरी का जन्म 1952 में आंध्र प्रदेश के काकानीडा में हुआ और उनका पालन-पोषण चेन्नई में हुआ। तेलंगाना आंदोलन से जुड़ने के बाद, उन्होंने 1970 में दिल्ली आकर इस आंदोलन से दूरी बनाई। बाद में उन्होंने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की छात्र इकाई स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और 1992 में सीपीएम के पोलित ब्यूरो में शामिल हुए।
इंदिरा गांधी से मांग लिया इस्तीफा
सीताराम येचुरी ने भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। तेलंगाना आंदोलन में सक्रिय भागीदारी के बाद उन्होंने आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी के खिलाफ मोर्चा खोला था। 25 जून 1975 को आपातकाल की घोषणा के बाद, जेएनयू में पढ़ाई के दौरान उन्होंने आपातकाल का विरोध किया और इंदिरा गांधी को इस्तीफा देने का अल्टीमेटम दिया था, जिसके कारण इंदिरा गांधी को जेएनयू के कुलाधिपति पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
सीपीएम में अहम भूमिका
1978 में सीताराम येचुरी को मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की छात्र इकाई स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) का संयुक्त सचिव बनाया गया और 1984 में उन्हें इस संगठन का अध्यक्ष चुना गया। येचुरी एसएफआई के पहले अध्यक्ष थे जो बंगाल और केरल के बाहर से थे। उन्होंने एसएफआई का विस्तार बंगाल और केरल के बाहर किया और 1992 में सीपीएम के पोलित ब्यूरो में शामिल हुए।
कोरोना वायरस से बेटे का निधन
उनका बेटा आशीष येचुरी 2021 में कोरोना वायरस से निधन हो गया था। उनके परिवार में पत्नी सीमा चिश्ती और बेटी अखिला येचुरी शामिल हैं। सीमा चिश्ती एक वरिष्ठ पत्रकार हैं और सीताराम येचुरी से उनकी दूसरी शादी थी। पहली शादी इंद्राणी मजूमदार से हुई थी, जिनसे बाद में तलाक हो गया था।