नई दिल्ली, 28 नवंबर 2024: बांग्लादेश में इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (ISKCON) को लेकर चल रहे विवाद के बीच बांग्लादेश हाईकोर्ट ने इस्कॉन पर बैन लगाने की मांग खारिज कर दी। कोर्ट ने गुरुवार को एक अहम फैसला सुनाते हुए इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने से इनकार किया। यह मामला तब तूल पकड़ने लगा था जब इस्कॉन से जुड़े चिन्मय कृष्ण दास को बांग्लादेशी झंडे का अपमान करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
इस्कॉन पर बैन की मांग क्यों उठी?
बांग्लादेश में इस्कॉन के खिलाफ विवाद तब बढ़ा जब सोमवार को चिन्मय कृष्ण दास को ढाका एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया। उनके खिलाफ आरोप था कि उन्होंने बांग्लादेशी झंडे के ऊपर एक हिन्दू झंडा रख दिया था, जिसे बांग्लादेशी लोगों ने अपमान के रूप में लिया। इस घटना के बाद बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए और स्थिति तनावपूर्ण हो गई।
बांग्लादेश हाईकोर्ट में बुधवार को एक याचिका दायर की गई, जिसमें इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी। याचिका में यह भी कहा गया था कि चटगांव और रंगपुर जैसे शहरों में शांति बहाल रखने के लिए आपातकाल लागू किया जाए क्योंकि इन शहरों में विरोध प्रदर्शन जारी था।
कोर्ट का फैसला
गुरुवार को कोर्ट में सुनवाई के दौरान, अटॉर्नी जनरल कार्यालय ने अदालत को बताया कि सरकार ने मामले में जरूरी कदम उठाए हैं। कोर्ट ने इस मामले में इस्कॉन पर बैन लगाने की मांग को खारिज कर दिया। अदालत को बताया गया कि अब तक इस मामले में तीन केस दर्ज किए गए हैं और 33 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इसके बाद कोर्ट ने सरकार से रिपोर्ट मांगी और स्थिति पर नजर रखने को कहा।
इस्कॉन का पक्ष
इस्कॉन ने इस पूरे मामले में अपना पक्ष रखा है। इस्कॉन के प्रवक्ता चारु चंद्र दास ने ढाका में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि चिन्मय कृष्ण दास इस्कॉन बांग्लादेश के आधिकारिक प्रवक्ता नहीं थे, और उनका कृत्य पूरी तरह से व्यक्तिगत था। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि चिन्मय कृष्ण दास के समर्थक लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, जिससे जेल वैन की आवाजाही में रुकावटें आ रही हैं।
राजनीतिक दबाव और सरकार की भूमिका
इस्कॉन पर बांग्लादेश में प्रतिबंध लगाने के लिए राजनीतिक दबाव बढ़ रहा था। कोर्ट ने सरकार से उम्मीद जताई कि वह बांग्लादेश में कानून और व्यवस्था बनाए रखते हुए नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी। अदालत ने यह भी कहा कि सरकार को नागरिकों के जीवन और संपत्ति की सुरक्षा के लिए सतर्क रहना होगा।
इस मामले में बांग्लादेश हाईकोर्ट का फैसला इस्कॉन के लिए राहत लेकर आया है, हालांकि बांग्लादेश में स्थिति अभी भी संवेदनशील बनी हुई है।