नई दिल्ली, 28 नवंबर 2024: भारत ने गुरुवार को अपनी परमाणु क्षमता में एक और महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया जब भारतीय नौसेना ने अपनी नवीनतम परमाणु पनडुब्बी INS अरिघाट से K-4 बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया। यह परीक्षण बंगाल की खाड़ी में किया गया, और इसने भारतीय रक्षा क्षेत्र में एक नई मिसाइल प्रणाली का परिचय दिया।
K-4 मिसाइल: भारत की नई ताकत
K-4 एक अत्याधुनिक सबमरीन-लॉन्च्ड बैलिस्टिक मिसाइल (SLBM) है, जिसे भारतीय रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने विकसित किया है। यह मिसाइल 3500 किलोमीटर तक की दूरी पर स्थित लक्ष्यों को निशाना बना सकती है, जो इसे भारत के पड़ोसी देशों के लिए एक गंभीर खतरा बनाती है।
K-4 की खासियत यह है कि इसे पानी के नीचे से लॉन्च किया जा सकता है, जो इसे दुश्मन के लिए ट्रैक और नष्ट करना बेहद मुश्किल बना देता है। इस मिसाइल का वजन करीब 17 टन है और इसकी लंबाई 39 फीट है। इसका व्यास 4.3 मीटर है और यह 2500 किलोग्राम तक के परमाणु हथियार को लेकर जा सकती है। K-4 मिसाइल दो चरणों में काम करती है और सॉलिड रॉकेट मोटर से संचालित होती है, जिससे इसकी गति और विश्वसनीयता बढ़ती है।
INS अरिघाट: भारत की नई परमाणु पनडुब्बी
INS अरिघाट, भारत की दूसरी स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी है, जिसे अगस्त 2024 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था। यह पनडुब्बी अरिहंत श्रेणी की है और इसमें चार वर्टिकल लॉन्चिंग सिस्टम (VLS) हैं, जिनसे K-4 मिसाइलें दागी जा सकती हैं। INS अरिघाट की क्षमता भारत की पहली परमाणु पनडुब्बी INS अरिहंत से कहीं अधिक है, जिससे यह और भी खतरनाक बन जाती है।
INS अरिघाट का निर्माण भारत के ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान का बेहतरीन उदाहरण है। पनडुब्बी में उन्नत डिजाइन, विशेष सामग्री और जटिल इंजीनियरिंग का इस्तेमाल किया गया है। यह भारत की समुद्री सुरक्षा को नई मजबूती प्रदान करने के लिए तैयार है।
‘सेकंड स्ट्राइक कैपेबिलिटी’ से मिलेगी ताकत
भारत की परमाणु नीति ‘नो फर्स्ट यूज’ (NFU) पर आधारित है, जिसका मतलब है कि भारत किसी भी देश पर पहले परमाणु हमला नहीं करेगा। हालांकि, अगर भारत पर परमाणु हमला होता है, तो वह अपनी जवाबी कार्रवाई करने में सक्षम रहेगा। K-4 मिसाइल का सफल परीक्षण इस नीति को और भी मजबूत करता है। यह मिसाइल भारत को एक मजबूत ‘सेकंड स्ट्राइक कैपेबिलिटी’ प्रदान करती है, जिसका मतलब है कि भारत अगर किसी परमाणु हमले का शिकार होता है, तो वह अपने दुश्मन को शक्तिशाली जवाब दे सकता है।
प्रशिक्षण का महत्व
K-4 मिसाइल का परीक्षण सिर्फ एक तकनीकी सफलता नहीं है, बल्कि यह भारत के सामरिक दृष्टिकोण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। समुद्र से लॉन्च की जाने वाली मिसाइलें दुश्मन के लिए खोजना और नष्ट करना अत्यंत कठिन बना देती हैं, जिससे भारत की सुरक्षा में इजाफा होता है। इसके अलावा, यह परीक्षण भारतीय नौसेना को अपने समुद्री सुरक्षा तंत्र को और मजबूत करने में मदद करेगा, जिससे भारत एक नई सामरिक ऊंचाई पर पहुंच जाएगा।
इस परीक्षण के साथ ही भारत ने यह साबित कर दिया कि वह अपनी समुद्री ताकत और परमाणु क्षमता को बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। K-4 मिसाइल के सफल परीक्षण ने यह संकेत दिया है कि भारत अब अपनी रक्षा तकनीकों में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में और भी मजबूत कदम बढ़ा रहा है।