भारत में हर साल कई लोगों की मौत सांप काटने की वजह से हो जाती है. देश के कई राज्यों में सर्पदंश से मृत्यु पर मुआवजे का प्रावधान है. देश में खेतों में सांपों के निकलने के चलते सांपों के काटने से होने वाली मौतों को कुछ राज्यों में आपदा से हुई मौत घोषित किया गया है. जिसके चलते सर्पदंश से हुई मौत पर पीड़ित के परिवार को मुआवजा दिया जाता है. इस मामले को लेकर उत्तर प्रदेश में चार लाख रुपये का मुआवजा दिया जाता है. हालांकि बहुत से लोगों की इसकी जानकारी नहीं है।
सांप के काटने से हुई मौत को चूंकि आपदा से हुई मौत माना गया है ऐसे में राज्य सरकार के नियमानुसार 48 घंटे में सभी कार्रवाई पूरी कर मुआवजे की राशि पीड़ित के सबसे नजदीकी संबंधी के खाते में भेजनी होती है. मुआवजा राशि पाने के लिए मृतक के परिजनों को बस दो सबसे जरूरी काम करने होते हैं, उसके बाद की सारी जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होती है।
अगर किसी की मौत सर्पदंश से हुई है तो सबसे पहले मृतक के परिजनों को तत्काल लेखपाल को इस दुर्घटना की सूचना देनी चाहिए. वहीं दूसरा काम ये है कि पीड़ित को पोस्टमॉर्टम के लिए ले जाएं और उसकी रिपोर्ट जिसमें सर्पदंश से मौत की पुष्टि हुई है, बाद में स्थानीय लेखपाल को दे दें. फिर लेखपाल, कानूनगो, तहसीलदार के जरिए बात एडीएम दफ्तर तक पहुंचती है. सूचनाओं की पुष्टि करने के बाद मुआवजे की रकम जारी कर दी जाती है।
एक अध्ययन के मुताबिक सांप के काटने से भारत में सालाना 64 हजार लोगों की मौत होती है. इनमें ज्यादातर मौतें ग्रामीण इलाकों में हुई है. सांपों के काटने से पुरुषों की मौत महिलाओं के मुकाबले ज्यादा हुई है. बिहार में पांच लाख रुपये के मुआवजे का प्रावधान है. केरल में बर्र और जहरीली मक्खी के काटने से हुई मौत पर भी मुआवजा की घोषण की जा चुकी है. हालांकि कुछ जगहों पर इस मदद योजना के दुरुपयोग के भी कुछ मामले सामने आ चुके हैं।