संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान हंगामा करने और सदन में बैन होने के बावजूद पोस्टर लाने पर विपक्ष के 141 सांसदों को निलंबित कर दिया गया। वहीं अब सांसदों के निलंबन पर पर कांग्रेस संसदीय दल (सीपीपी) की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोला है। सीपीपी की बैठक में सोनिया गांधी ने कहा कि लोकतंत्र का गला घोटा जा रहा है। इससे पहले कभी ऐसा नहीं हुआ, इससे पहले कभी भी इतने सारे विपक्षी सांसदों को सदन से निलंबित नहीं किया गया।
कांग्रेस संसदीय दल की बैठक के दौरान सोनिया गांधी ने कहा, “इस सरकार ने लोकतंत्र का गला घोंट दिया है। इससे पहले कभी भी इतने सारे विपक्षी सांसदों को सदन से निलंबित नहीं किया गया था वो भी उचित और वैध मांग के लिए। 13 दिसंबर को हुई असाधारण घटना पर विपक्ष के सदस्यों ने लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह के बयान की मांग की थी। इस अनुरोध का जिस अहंकार के साथ व्यवहार किया गया उसके लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं।”
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि 13 दिसंबर को हुई घटनाएं “अक्षम्य हैं और उसे उचित नहीं ठहराया जा सकता। “प्रधानमंत्री को घटना पर अपने विचार व्यक्त करने और राष्ट्र को संबोधित करने में चार दिन लगा दिए, और वो भी उन्होंने ऐसा संसद के बाहर किया। ऐसा करके, उन्होंने सदन की गरिमा के प्रति अपनी उपेक्षा और सदन के प्रति अपनी उपेक्षा का स्पष्ट संकेत दिया। मैं देश के लोगों पर यह कल्पना छोड़ती हूं कि अगर भाजपा आज विपक्ष में होती तो इस घटना पर क्या प्रतिक्रिया देती।
जम्मू-कश्मीर के विधेयकों और पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर गृह मंत्री अमित शाह के बयान का जिक्र करते हुए कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष ने कहा, “इस सत्र में जम्मू-कश्मीर से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण विधेयक पारित हुए। जवाहर लाल नेहरू जैसे महान देशभक्तों को बदनाम करने की कोशिश की गई। इतिहास और ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करने के लिए अभियान चलाए जा रहे हैं। इन प्रयासों में प्रधानमंत्री और गृह मंत्री खुद मोर्चा संभाल रहे हैं लेकिन हम न डरेंगे और न ही झुकेंगे। हम सच बोलने पर कायम रहेंगे।
उन्होंने कहा, “जम्मू-कश्मीर पर हमारी स्थिति स्पष्ट और सुसंगत रही है। पूर्ण राज्य का दर्जा तुरंत बहाल किया जाना चाहिए, जल्द से जल्द चुनाव कराए जाने चाहिए. लद्दाख के लोगों की आकांक्षाएं भी उतनी ही महत्वपूर्ण हैं, उन्हें संबोधित किया जाना चाहिए और उन्हें वो सम्मान दिया जाना चाहिए जिसके वो हकदार हैं।