भारत को मिलने वाला ‘सोनोबॉय’ चीन के लिए बड़ा झटका, समुद्र में दुश्मन की आहट पर रखेगा नजर

Anti-Submarine Sonobuoys : भारत की समुद्री ताकत अब और भी मजबूत होने वाली है। अमेरिका ने भारत को हाई एल्टीट्यूड एंटी-सबमरीन वारफेयर (HAASW) सोनोबॉय बेचने का फैसला किया है। इस डील की कुल कीमत 52.8 मिलियन अमेरिकी डॉलर है। सोनोबॉय में एयर-लॉन्च, एक्सपेंडेबल, इलेक्ट्रो-मैकेनिकल सेंसर होते हैं जो पानी के नीचे की आवाज को रिमोट प्रोसेसर तक पहुंचाने के लिए डिजाइन किए गए हैं। यह प्रणाली प्रभावी और किफायती है।

सोनोबॉय एक पोर्टेबल सोनार सिस्टम है, जो समुद्र में साउंड वेव्ज छोड़ता है। यदि पनडुब्बी या जहाज इसकी साउंड वेव्ज से टकराते हैं, तो इसकी इको मिलती है, जिससे उनका पता लगाया जा सकता है। इससे भारत की एमएच-60आर हेलीकॉप्टरों से पनडुब्बी रोधी युद्ध संचालन की क्षमता में महत्वपूर्ण वृद्धि होगी। यह नई डील भारत को वर्तमान और भविष्य के समुद्री खतरों से निपटने में सक्षम बनाएगी।

अमेरिका-भारत के रणनीतिक संबंधों को मिलेगी मजबूती 

रक्षा सुरक्षा सहयोग एजेंसी ने हाल ही में सीनेट की विदेश संबंध समिति को इस डील की अधिसूचना भेजी है। अधिसूचना के अनुसार, भारत ने AN/SSQ-53O हाई एल्टीट्यूड एंटी-सबमरीन वारफेयर (HAASW) सोनोबॉय खरीदने का अनुरोध किया था। अमेरिका ने इस डील को 23 अगस्त को मंजूरी दी थी, और इससे अमेरिका-भारत के रणनीतिक संबंधों को और भी मजबूत किया जाएगा। इससे हिंद-प्रशांत और दक्षिण एशिया में आर्थिक प्रगति भी होगी।

भारत के रक्षा मंत्री ने अगस्त में किया था अमेरिका का दौरा 

यह डील भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक सहयोग को दर्शाती है। भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अगस्त में अमेरिका के दौरे के दौरान इस डील पर अंतिम मुहर लगाई थी। इस डील से भारतीय नौसेना की पनडुब्बी रोधी क्षमताओं में सुधार होगा और समुद्री निगरानी में और भी मजबूती आएगी।

क्या है सोनोबॉय ?

सोनोबॉय एक विशेष उपकरण है जिसका उपयोग समुद्र की गहराई में पनडुब्बियों की आवाज़ का पता लगाने के लिए किया जाता है। यह सोनार सिस्टम पर आधारित होता है, जो साउंड नेविगेशन और रेजिंग सिस्टम का उपयोग करता है। सोनोबॉय दो मोड में काम करता है: एक्टिव और पैसिव। एक्टिव मोड में यह साउंड वेव्ज छोड़ता है और पैसिव मोड में यह मौजूदा साउंड वेव्ज को डिटेक्ट करता है।

कैसे काम करता है सोनोबॉय?

सोनोबॉय एक खास तकनीकी उपकरण है जिसका उपयोग समुद्र में पनडुब्बियों और अन्य चीजों की पहचान के लिए किया जाता है। इसे समुद्र की गहराई में साउंड वेव्स के जरिए काम करने वाले सोनार सिस्टम से लैस किया जाता है। इसका मुख्य काम है पानी के भीतर मौजूद चीजों की दूरी और दिशा का पता लगाना।

  1. एक्टिव मोड – इसमें सोनोबॉय साउंड वेव्स छोड़ता है और उन वेव्स की वापसी से यह पता लगाता है कि समुद्र में क्या-क्या है और उसकी स्थिति क्या है।
  2. पैसिव मोड – इसमें सोनोबॉय साउंड वेव्स की वापसी पर ध्यान नहीं देता, बल्कि समुद्र में मौजूद किसी भी साउंड वेव्स को सुनता है और उसके आधार पर चीजों का पता लगाता है।

भारत की समुद्री निगरानी होगी और भी मजबूत

सोनोबॉय की मदद से भारतीय नौसेना समुद्र में मौजूद दुश्मन की पनडुब्बियों की आवाज़ को भी बेहतर तरीके से सुन सकेगी। यह पनडुब्बी रोधी युद्ध संचालन को अधिक प्रभावी बनाएगा और भारत की समुद्री निगरानी को और भी मजबूत करेगा।

चीन के हालिया अत्याधुनिक पनडुब्बियों के संदर्भ में, यह डील विशेष महत्व रखती है और चीनी सेना के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकती है। इस नए उपकरण के साथ, भारत अपनी समुद्री सुरक्षा को और भी बेहतर बना सकेगा और क्षेत्रीय सामरिक स्थिति में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकेगा।

 

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