साउथ कोरिया में मंगलवार को एक अजीब घटनाक्रम सामने आया, जब राष्ट्रपति यून सूक येओल ने अचानक देश में मार्शल लॉ लागू करने का ऐलान किया। हालांकि, यह फैसला महज 6 घंटे तक ही चल पाया और बुधवार तड़के इसे वापस ले लिया गया।
राष्ट्रपति यून का चौंकाने वाला कदम
3 दिसंबर की रात करीब 10:27 बजे, राष्ट्रपति यून ने एक लाइव टेलीविजन संबोधन में साउथ कोरिया में आपातकालीन मार्शल लॉ लागू करने की घोषणा की। उन्होंने विपक्षी दलों पर आरोप लगाते हुए कहा कि वे ‘उत्तर कोरिया के साथ सहानुभूति रखते हैं’ और ‘देश विरोधी गतिविधियों’ में शामिल हैं। यून ने विपक्ष को ‘आपराधिक संगठन’ करार दिया, जो उनके अनुसार कम्युनिस्टों के साथ मिलकर देश को नष्ट करने की कोशिश कर रहे थे।
मार्शल लॉ के तहत, साउथ कोरिया में सभी राजनीतिक गतिविधियों पर रोक लगा दी गई, जिसमें संसद की कार्यवाही भी शामिल थी। प्रेस की स्वतंत्रता पर भी अंकुश लगा दिया गया। यह 1979 के बाद पहली बार था जब साउथ कोरिया में मार्शल लॉ लागू किया गया।
तीव्र विरोध और संसद का ऐतिहासिक कदम
राष्ट्रपति के इस फैसले के बाद देशभर में विरोध का माहौल बन गया। न केवल विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी, बल्कि राष्ट्रपति यून की अपनी पीपुल्स पावर पार्टी ने भी इस कदम का विरोध किया। सड़कों पर लोग विरोध प्रदर्शन करने लगे।
सर्वाधिक चौंकाने वाली घटना तब घटी जब रात करीब 1:01 बजे, संसद में मौजूद सांसदों ने सुरक्षा बलों की रोकथाम के बावजूद 190-0 के वोट से मार्शल लॉ हटाने का प्रस्ताव पारित कर दिया। यह घटना लोकतंत्र की जीत को दर्शाती है और इसने दिखा दिया कि साउथ कोरिया में लोकतांत्रिक संस्थाएं कितनी मजबूत हैं।
यून का यू-टर्न और मार्शल लॉ की वापसी
संसद के इस कदम के बाद राष्ट्रपति यून को पीछे हटना पड़ा। 4 दिसंबर की सुबह 4:30 बजे, एक कैबिनेट बैठक के बाद उन्होंने मार्शल लॉ को वापस लेने की घोषणा की। मार्शल लॉ कमांड को भंग कर दिया गया और सैनिकों को संसद भवन से वापस बुला लिया गया।
राष्ट्रपति यून ने एक टेलीविजन ब्रीफिंग में कहा, “मैंने फैसला किया है कि मार्शल लॉ को तुरंत हटा लिया जाए। मैं इस घटनाक्रम के लिए देश से माफी मांगता हूं।”
यह घटनाक्रम साउथ कोरिया की राजनीतिक स्थिति और राष्ट्रपति यून की अगुवाई में गंभीर बदलावों को लेकर चिंता और विरोध का संकेत था, जिसने देश में एक बड़ा राजनीतिक संकट उत्पन्न कर दिया था।