शिवपाल पर योगी मेहरबान, आवंटित किया मायावती वाला ‘आलीशान’ बंगला

लखनऊ: सेक्युलर मोर्चा बनाकर अखिलेश यादव की नींद हराम करने वाले शिवपाल सिंह यादव पर राज्य सरकार की मेहरबानी ने यूपी में नई सियासी सुगुबुगाहट को हवा दे दी है. दरअसल राज्य संपत्ति विभाग ने शिवपाल सिंह यादव को वह बंगला आवंटित कर दिया है, जो कभी बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती का दफ्तर हुआ करता था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मायावती को यह बंगला छोड़ना पड़ा था. मायावती इसी बंगले से सटे अपने निजी बंगले में शिफ्ट हो गई थीं.

शिवपाल को इतना आलीशान बंगला क्यों ?

शिवपाल को इतना बड़ा बंगला आवंटित होने से सियासी गलियारे में चर्चा का बाजार गर्म है. सवाल उठ रहे हैं कि शिवपाल सिंह यादव को पूर्व मुख्यमंत्रियों वाला बंगला किस हैसियत से आवंटित किया गया. शिवपाल सिंह यादव को आवंटित 13-ए लाल बहादुर शास्त्री मार्ग के बंगले में इस समय रंग रोगन और साज-सज्जा का भी काम किया जा रहा है. पूर्व मुख्यमंत्री मायावती जब सत्ता में थीं तो उन्होंने इस बंगले को अपने लिए खासतौर से बनवाया था. इस आलीशान बंगले पर करोड़ों रुपए भी खर्च हुए थे.

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शिवपाल पर मेहरबान है योगी सरकार !

राज्य संपत्ति विभाग के इस फैसले के बाद ये भी सवाल उठ रहे हैं कि क्या योगी सरकार शिवपाल सिंह यादव पर मेहरबान है. चौंकाने वाली बात तो यह है कि योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद खाली कराए गए बंगलों में से किसी बंगले को पहली बार आवंटित किया है. दरअसल लोकसभा चुनाव में मायावती और अखिलेश बीजेपी के खिलाफ महागठबंधन बनाने की तैयारी में हैं. ऐसे में शिवपाल पर प्रशासन की इस मेहरबानी से कई कयास लगाए जा रहे हैं. चर्चा यह भी है कि शिवपाल को आगे बढ़ाकर बीजेपी अखिलेश यादव को कमजोर करना चाहती है.

इसी बंगले में होगा शिवपाल का ऑफिस ?

राज्य संपत्ति विभाग ने शिवपाल सिंह यादव 13-ए लाल बहादुर शास्त्री मार्ग का बंगला मिला है. कहा जा रहा है कि इसी बंगले में शिवपाल अपनी पार्टी का ऑफिस बनाएंगे. बंगला आवंटित होने के बाद शिवपाल तत्काल बंगले में गए भी और वहां निरीक्षण किया.

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SC के आदेश पर खाली हुए थे बंगले

सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल मई में आदेश जारी किया था कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवंटित किए गए बंगले निरस्त किए जाएं. अदालत ने कहा था कि पूर्व मुख्यमंत्री एक आम नागरिक होता है इसलिए उसे सरकारी बंगले आवंटित करने का कोई औचित्य नहीं है.

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