SC/ST एक्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट से केंद्र सरकार को राहत मिली है। 20 मार्च 2018 में कोर्ट ने SC/ST कानून को लेकर दुरूपयोग के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून पर रोक लगा थी. इसके बाद संसद में कोर्ट के आदेश को पलटने के लिए कानून में संशोधन किया गया था. संशोधित कानून की वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी.
बता दें कि एससी/एसटी पर अत्याचार करने वाले आरोपी को अग्रिम जमानत देने के लिए कोई प्रावधान न होने के खिलाफ याचिका दाखिल की गई थी। इससे पहले एससी/एसटी एक्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आंशिक तौर पर अपना फैसला बदला था।
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गौरतलब है कि पिछले साल अक्टूबर में, पीठ ने संकेत दिया था कि यह तत्काल गिरफ्तारी और अग्रिम जमानत पर रोक लगाने के लिए एससी / एसटी अधिनियम में केंद्र द्वारा किए गए संशोधनों को बरकरार रखेगा। कोर्ट ने इस दौरान कहा था,’हम किसी भी प्रावधान को कम नहीं कर रहे हैं। इन प्रावधानों को कम नहीं किया जाएगा। कानून वैसा ही होना चाहिए जैसा वह था। उन्हें छोड़ दिया जाएगा क्योंकि यह समीक्षा याचिका और अधिनियम में संशोधनों पर निर्णय से पहले था।’
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अदालत ने इस दौरान यह भी कहा था कि यह भी स्पष्ट किया जाएगा कि एससी / एसटी कानून के तहत किसी भी शिकायत पर कोई कार्रवाई करने से पहले पुलिस प्राथमिक जांच कर सकती है। अगर प्रथम दृष्टया में उसे शिकायतें झूठी लगती हैं।
20 मार्च, 2018 को अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की पीठ ने इस कानून के तहत शिकायत पर अग्रिम जमानत का प्रावधान जोड़ने के साथ-साथ गिरफ्तारी के प्रावधान पर रोक लगा दी थी। इसके बाद पुराने कानून को सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने 30 सितंबर, 2019 को बहाल कर दिया था। केंद्र सरकार द्वारा कानून में संशोधन करके सुप्रीम कोर्ट के 20 मार्च 2018 के फैसले को पलटकर दोबारा पुराने कानून को लागू कर दिया था।