गौतमबुद्धनगर के बीजेपी सांसद महेश शर्मा के निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
बिजीपी सांसद महेश शर्मा पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
गौतमबुद्धनगर से बीजेपी सांसद डॉ. महेश शर्मा की लोकसभा सदस्यता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की। यह याचिका गीतारानी शर्मा नामक चुनावी उम्मीदवार ने दायर की है, जिनका दावा है कि उन्हें गलत तरीके से चुनावी प्रक्रिया से बाहर किया गया। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ, जिसकी अध्यक्षता सीजेआई संजीव खन्ना कर रहे थे, ने महेश शर्मा और चुनाव आयोग समेत अन्य पक्षकारों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया।
सुप्रीम कोर्ट में याचिका की सुनवाई के दौरान, गीतारानी शर्मा के वकील से कोर्ट ने यह सवाल पूछा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने याचिका से जिलाधिकारी का नाम हटाने का आदेश क्यों दिया था। इस पर वकील कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे सके। इसके बाद, सुप्रीम कोर्ट ने सभी संबंधित पक्षकारों को नोटिस जारी किया और मामले पर 24 मार्च के बाद अगली सुनवाई तय की।
गीतारानी शर्मा की याचिका का इतिहास
गौतमबुद्धनगर के बीजेपी सांसद डॉ. महेश शर्मा के खिलाफ याचिका दायर करने वाली गीतारानी शर्मा, बुलंदशहर की रहने वाली हैं। उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में पर्चा भरा था, लेकिन उनका नामांकन गलत तरीके से खारिज कर दिया गया था। गीतारानी ने इसके खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया। इसके बाद, गीतारानी शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।
सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका में आरोप है कि पीठासीन अधिकारी ने जानबूझकर उनका नामांकन निरस्त कर दिया, जो पूरी तरह से गलत था। हाईकोर्ट ने अपनी सुनवाई में कहा था कि जब विपक्षी सांसद डॉ. महेश शर्मा अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करेंगे, तब याचिका पर अगली सुनवाई होगी। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने केंद्रीय निर्वाचन आयोग की आपत्ति को भी स्वीकार किया था और उसे पक्षकार से हटा दिया था। इसके बाद, जिलाधिकारी गौतमबुद्धनगर और विपक्षी उम्मीदवारों को भी पक्षकार से हटा दिया गया था।
महेश शर्मा की राजनीति में स्थिति
महेश शर्मा, जो कि गौतमबुद्धनगर से बीजेपी के तीसरी बार सांसद बने हैं, पहले भी संसद में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा चुके हैं। 2024 में उन्होंने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार महेंद्र नागर को हराकर इस सीट पर जीत हासिल की थी। इस चुनाव में भी उन्होंने अपनी सियासी पकड़ मजबूत की है। महेश शर्मा की पहली जीत 2014 के लोकसभा चुनाव में हुई थी, और वह केंद्र सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं।
गौतमबुद्धनगर सीट की सियासत का लंबा इतिहास है। यह सीट 2008 में अस्तित्व में आई थी और इसके अंतर्गत नोएडा, खुर्जा, दादरी, जेवर और शिकंदराबाद की विधानसभा सीटें आती हैं। महेश शर्मा का इस सीट पर गहरा प्रभाव है, और उन्होंने अपनी राजनीतिक यात्रा में कई महत्वपूर्ण मुकाम हासिल किए हैं।
गीतारानी का राजनीतिक सफर
गीतारानी शर्मा ने राजनीति में कदम रखने से पहले पुलिस की नौकरी छोड़ दी थी। वह 2022 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी उम्मीदवार थीं, लेकिन उन्हें वहां भी सफलता नहीं मिली। उनका कहना था कि वह समाज सेवा के लिए राजनीति में आई हैं, और इसके लिए उन्होंने अपनी सुरक्षित सरकारी नौकरी छोड़ दी। हालांकि, उनका यह कदम उनके लिए आसान नहीं रहा और चुनावों में उन्हें लगातार हार का सामना करना पड़ा। अब, गीतारानी ने महेश शर्मा की सदस्यता को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, और देखना यह होगा कि कोर्ट इस मामले में क्या फैसला सुनाती है।
सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई और आगे की प्रक्रिया
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को लेकर काफी गंभीरता दिखाई है और सभी पक्षकारों से जवाब तलब किया है। आगामी 24 मार्च के बाद इस मामले पर अगली सुनवाई होगी। इस दौरान, सुप्रीम कोर्ट यह तय करेगा कि क्या महेश शर्मा की सदस्यता को चुनौती देने वाली याचिका में कोई कानूनी पहलू है, जो सांसद की सदस्यता को प्रभावित कर सके। कोर्ट की यह सुनवाई भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकती है, खासकर गौतमबुद्धनगर सीट की सियासत को लेकर।
राजनीतिक रूप से अहम गौतमबुद्धनगर सीट
गौतमबुद्धनगर की लोकसभा सीट उत्तर प्रदेश के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में आती है और यहाँ की राजनीति भी राज्य के अन्य क्षेत्रों की तरह ही काफी गतिशील रही है। इस सीट पर चुनावी हलचल के बावजूद, महेश शर्मा लगातार अपनी राजनीतिक पकड़ बनाए हुए हैं और अब देखना यह होगा कि क्या सुप्रीम कोर्ट की आगामी सुनवाई में कुछ नया मोड़ आता है। इस सीट की राजनीति भविष्य में और भी ज्यादा दिलचस्प हो सकती है, खासकर यदि इस तरह की याचिकाएँ जारी रहती हैं।