नई दिल्ली। मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि केस में शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी को सुप्रीम कोर्ट ने कोई राहत नहीं दी है। इससे निश्चित तौर पर उसे झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी से कहा है कि वो पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट जाए। दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा की श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद मामले के सभी 15 मुकदमों को साथ सुनने का फैसला किया था।
इसके खिलाफ शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी ने हाईकोर्ट में ही अर्जी दी थी। उस अर्जी पर अभी फैसला नहीं हुआ, लेकिन मस्जिद कमेटी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई। इस पर ही सुप्रीम कोर्ट ने उसे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट में ही जाने को कह दिया।
हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दिए जाने पर हैरत जताई है। उन्होंने कहा कि सभी मामलों की एक साथ सुनवाई में रोड़ा अटकाने की खातिर ही शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी थी। हिंदू पक्ष ने दरअसल दावा किया है कि शाही ईदगाह मस्जिद श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर बने मंदिर को तोड़कर तामीर की गई। हिंदू पक्ष का दावा है कि मुगल बादशाह औरंगजेब के दौर में श्रीकृष्ण जन्मभूमि स्थित मंदिर को तोड़कर शाही ईदगाह मस्जिद बनाई गई थी।
हिंदू पक्ष का ये भी इलाहाबाद हाईकोर्ट से आग्रह है कि ज्ञानवापी मस्जिद की तरह ही मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद का भी एएसआई सर्वे कराया जाए। साथ ही शाही ईदगाह मस्जिद में प्राचीन हिंदू मंदिर के सबूत मिटाने संबंधी आरोप भी हिंदू पक्ष ने लगाए हैं।
कुल 15 अर्जियां मथुरा के कोर्ट में दाखिल हुई थीं। जिनको इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनवाई के लिए अपने पास ले लिया। वहीं, मुस्लिम पक्ष का कहना है कि किसी मंदिर को तोड़कर शाही ईदगाह मस्जिद नहीं बनाई गई। वो प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के तहत भी हिंदू पक्ष का श्रीकृष्ण जन्मभूमि संबंधी दावा रद्द करने की मांग कर रहा है।