सुप्रीम कोर्ट ने जजों के तबादले व नियुक्तियों की कॉलेजियम की चुनिंदा सिफारिशें स्वीकार करने के केंद्र सरकार के रवैये पर सोमवार को एक बार फिर सवाल उठाया और नाराजगी जाहिर की। जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल एस.वेंकटरमणी से कहा, आपने पांच जजों के तबादला आदेश जारी किए और छह के नहीं। गुजरात के चार जजों के तबादले नहीं किए गए।
इससे अच्छा संकेत नहीं जाता। एक स्तर पर यदि इन जजों को काम नहीं दिया जाता तो इसका मतलब कुछ अप्रिय हो सकता है। आप इसका नतीजा जानते हैं, यदि ऐसा होता है तो इन जजों को शर्मिंदा होना पड़ेगा। ऐसे हालात न बनाएं। पंजाब में पांच वकीलों की जज के रूप में नियुक्ति की सिफारिश की गई लेकिन दो सिख वकीलों की नियुक्ति नहीं की गई। बेंच ने सवाल किया कि ऐसा क्यों होना चाहिए?
जस्टिस कौल ने कहा कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा सुझाए गए पांच नामों पर अपनी प्रतिक्रिया नहीं भेजी। पांच अन्य नियुक्तियों की सिफारिशों को एक या अधिक बार दोहराए जाने के बावजूद केंद्र ने कोई कदम नहीं उठाया। तीन उम्मीदवारों के नामों पर जुलाई से अब तक कॉलेजियम को इनपुट नहीं मिला है।
बेंच ने एजी से कहा कि नियुक्तियों का बैकलॉग नहीं बढ़ाएं, इससे समस्या होती है। जवाब में एजी ने कहा कि चुनाव के कारण कुछ देरी हुई और दोहराए गए नामों के संबंध में प्रगति हुई है। बेंच बेंगलुरु के एडवोकेट्स एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। मामले की अगली सुनवाई पांच दिसंबर को होगी।