नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि लिव इन संबंधों में रहने वाली महिला घरेलू हिंसा कानून 2005 के तहत पार्टनर से गुजारा भत्ता ले सकती है. गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली 3 जजों की बड़ी पीठ ने ये व्यवस्था दी. इससे पहले ये मामला 2 जजों की पीठ ने ये मामला बेंच के पास भेजा था. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के पास ये मामला उस वक्त आया जब झारखंड हाईकोर्ट ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 125 के अंतर्गत महिला को गुजारा भत्ता देने का आदेश जब दिया जा सकता है जब वो महिला कानूनी रुप से पुरुष के साथ विवाहित हो.
ये भी पढ़ें: मुंबई में आधी रात को मिले मोहन भागवत से अमित शाह, चुनाव और राम मंदिर पर चर्चा
कोर्ट ने कहा कि गैर विवाहित महिला को इस धारा के तहत गुजारा भत्ता नहीं दिया जा सकता. महिला ने इस मामले में ये माना था कि वोविन इन में रह रही थी. इसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट में आया, जिसके बाद जस्टिस टीएस कुरियन जोसेफ की पीठ ने इस मामले को बड़ी बेंच को रेफर किया.
ये भी पढ़ेः राममंदिर को लेकर विधेयक और अध्यादेश लाना नहीं इतना आसान, ये है मुख्य दिक्कतें
वहीं बेंच ने कई बातों पर स्पष्टीकरण मांगा. बेंच की तरफ से कहा गया कि क्या लंबे समय से साथ रह रहे जोड़े को पति पत्नी माना जा सकता है. क्या घरेलू हिंसा को देखते हुए सीआरपीसी की धारा 125 के तहत गुजारा भत्ता लेने के लिए विवाह का ठोस सबूत होना जरूरी है. वहीं तीन जजों की पीठ ने फैसले में कहा कि इन सवालों का जवाब देने की जरूरत नहीं है क्योंकि घरेलू हिंसा कानून 2005 में महिलाओं की सुरक्षा के पर्याप्त उपाय किए गए हैं. इसमें चाहे महिला विवाहित न भी हो तो भी वो गुजार भत्ते के लिए आग्रह कर सकती है.