नई दिल्ली, राजसत्ता एक्सप्रेस। औरंगाबाद हादसे को लेकर सुप्रीम कोर्ट काफी तल्ख टिप्पणी की है। मालगाड़ी से कट कर हुई 16 मजदूरों की मौत के मामले पर देश की सबसे बड़ी अदालत ने सुनवाई करने से साफ इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि अगर कोई ट्रैक पर सो जाए, तो क्या कर सकते हैं? दरअसल, अभी हाल ही में महाराष्ट्र से अपने घर के लिए पैदल निकले 16 मजदूरों की ट्रेन से कटकर मौत हो गई थी। ये दर्दनाक हादसा औरंगाबाद के रेलवे ट्रैक पर हुआ। पैदल चलते हुए सभी मजदूर थककर रेलवे ट्रैक पर ही सो गए थे, तभी अचानक एक मालगाड़ी की चपेट में एक दर्जन से ज्यादा मजदूरों की दर्दनाक मौत हो गई थी।
सरकार बोली…अपने बारी का इंतजार कोई नहीं कर रहा
इस मामले पर अब सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर लिया। हालांकि कोर्ट ने सरकार से ये जरूर पूछा कि जिन लोगों ने अपने घर जाने के लिए पैदल चलना शुरू किया है, उन्हें कैसे रोका जाए? इसे जवाब में सरकार की ओर से कहा गया कि सभी मजदूरों और प्रवासियों की घर जाने की व्यवस्था की जा रही है, लेकिन सभी को अपनी बारी के आने का इंतजार करना होगा, जो वो नहीं कर रहे हैं।
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कोर्ट ने ये भी सवाल किया कि हम कैसे निगरानी कर सकते हैं कि कौन सड़क पर चल रहा है? राज्य निगरानी करने के लिए ही है। इसपर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा बसों का प्रबंध किया जा रहा है, लेकिन अगर लोग अपनी बारी का इंतजार किए बिना सड़क पर पैदल चलने लग जाएं, तो इसका क्या किया जाए?
सॉलिसिटर जनरल ने कहा-राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है
वहीं, एक अन्य याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुंबई में प्रवासी मजदूरों के लिए तय किए गए नोडल ऑफिसर अपना काम नहीं कर रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि इनका मजदूरों के आवास आदि की सुविधा सुनिश्चित करने के लिए मौजूद होना अत्यंत आवश्यक है। इसपर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि ये व्यवस्था राज्यों को करनी चाहिए। हमने उन्हें मजदूरों के लिए आवास की व्यवस्था करने के निर्देश भी दिए हुए हैं। इसके बाद कोर्ट ने इस मामले में यूपी और महाराष्ट्र सरकार से अगले हफ्ते तक जवाब देने के लिए कहा है। वहीं, प्रवासी मजदूरों को वेतन देने वाली याचिका पर जवाब देने के लिए सॉलिसिटर जनरल थोड़ा वक्त मांगा है।
वहीं, दिल्ली हाई कोर्ट ने भी सभी राज्य सरकारों और रेलवे को निर्देश जारी कर कहा है कि कोई भी प्रवासी पैदल घर वापस नहीं जाना चाहिए। हाई कोर्ट ने कहा कि सरकार इसके लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाए और ये सुनिश्चित करें कि कोई भी पैदल न जाए।सरकार को निर्देश देते हुए कोर्ट ने कहा कि इसको लेकर अखबारों, टीवी पर विज्ञापन निकालें जाएं, ताकि मजदूरों तक ये बात पहुंच सके। वहीं, रेलवे की ओर से कोर्ट को बताया गया कि जब भी दिल्ली सरकार उनसे ट्रेन उपलब्ध कराने के लिए कहेगी, उसे तुरंत पूरा किया जाएगा। बता दें कि दिल्ली हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका में वासी मजदूरों के पैदल घर जाने का मुद्दा उठाया गया था।
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गौरतलब है कि लॉकडाउन की वजह से सबसे ज्यादा प्रभावित मजदूर वर्ग हुआ है। लॉकडाउन के कारण बाजारें बंद हैं, कारोबार ठप है। सार्वजनिक वाहन भी नहीं चल रहे हैं। ऐसे में मजदूरों के पास न तो काम है और न ही पैसा, इसके लिए अब वो पैदल ही अपने गांव की ओर निकल पड़े हैं। हालांकि रेलवे द्वारा श्रमिक स्पेशल ट्रेनों और राज्य सरकारों द्वारा बसों की व्यवस्था की जा रही है।