Sunday, May 25, 2025

वक्फ कानून पर सुनवाई पूरी, सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला, सिब्बल ने दी ‘ईश्वर’ और ‘दान’ वाली दलील

सुप्रीम कोर्ट में वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर तीन दिन तक तगड़ी बहस हुई। CJI बी आर गवई, जस्टिस ए जी मसीह और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच ने गुरुवार को सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया। अब कोर्ट तय करेगा कि इस कानून पर अंतरिम रोक लगेगी या नहीं। याचिकाकर्ताओं की ओर से कपिल सिब्बल ने जोरदार दलीलें दीं, तो केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जवाब दिया।

तमिलनाडु के चोल मंदिर का जिक्र

सुनवाई के दौरान तमिलनाडु का एक मामला चर्चा में आया। एक महिला वकील ने बताया कि तमिलनाडु के एक गांव में चोल राजाओं का 1500 साल पुराना मंदिर है, लेकिन पूरे गांव को ही वक्फ प्रॉपर्टी घोषित कर दिया गया। इस पर कपिल सिब्बल ने कहा कि अगर पुरानी प्रॉपर्टी को वक्फ का दर्जा खत्म किया गया, तो ये समुदाय के अधिकारों पर हमला है। उन्होंने 200 साल पुराने कब्रिस्तानों का हवाला देते हुए कहा कि क्या सरकार अब कहेगी कि ये उसकी जमीन है?

कपिल सिब्बल की बड़ी दलीलें

कपिल सिब्बल ने कानून के उस प्रावधान पर सवाल उठाया, जिसमें कहा गया है कि वक्फ प्रॉपर्टी के विवाद की जांच तक उसका वक्फ का दर्जा लंबित रहेगा। उन्होंने कहा, “ये प्रावधान असंवैधानिक है। जांच की कोई समय सीमा नहीं है, 6 महीने या उससे ज्यादा भी लग सकता है। तब तक मुस्लिम समुदाय का उस प्रॉपर्टी पर हक खत्म हो जाएगा।” सिब्बल ने ये भी कहा कि प्रॉपर्टी वक्फ है या नहीं, इसका फैसला सरकार करेगी, लेकिन प्रक्रिया साफ नहीं है। ये पूरी तरह मनमाना है। उन्होंने उदाहरण दिया, “जम्मू-कश्मीर में सिर्फ 1 वक्फ रजिस्टर्ड है, यूपी में 0। क्या लखनऊ का इमामबाड़ा खत्म हो जाएगा?”

वक्फ और दान का इस्लाम से रिश्ता

सिब्बल ने केंद्र के इस दावे का खंडन किया कि वक्फ इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है। उन्होंने कहा, “इस्लाम के 5 सिद्धांतों में अल्लाह पर ईमान, नमाज, रोजा, हज और जकात (दान) शामिल हैं। वक्फ अल्लाह के नाम पर दान है, जो परलोक के लिए होता है। ये इस्लाम का अभिन्न हिस्सा है।” CJI ने कहा कि दान तो सभी धर्मों में होता है, जैसे हिंदुओं में मोक्ष की अवधारणा। इस पर सिब्बल बोले, “वक्फ अलग है, क्योंकि ये अल्लाह के लिए होता है और एक बार वक्फ होने के बाद हमेशा वक्फ रहता है।” जस्टिस मसीह ने टिप्पणी की, “सब स्वर्ग जाने की कोशिश में हैं।”

राजीव धवन की दलील

याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने कहा कि वेदों में मंदिर हिंदू धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं है। वहां प्रकृति की पूजा होती है, जैसे अग्नि, इंद्र, वायु। ठीक वैसे ही वक्फ इस्लाम का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि अगर प्रॉपर्टी धर्म से छीन ली जाए, तो धर्म का आधार कमजोर हो जाता है।

रजिस्ट्रेशन पर बहस

सिब्बल ने कहा कि 1954 से 2013 तक सिर्फ एक राज्य ने वक्फ प्रॉपर्टी का सर्वे पूरा किया। ये राज्यों की जिम्मेदारी थी, न कि मुतवल्ली (वक्फ प्रबंधक) की। उन्होंने तंज कसा, “अब सरकार कह रही है कि प्रॉपर्टी रजिस्टर्ड नहीं, तो वक्फ नहीं। ये उनकी अपनी गलती है।” सिब्बल ने एक पुराने फैसले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया कि वक्फ के लिए रजिस्ट्रेशन जरूरी नहीं। उन्होंने पूछा, “अगर कानून में साक्ष्य के नियम को खत्म कर दिया जाए, तो क्या 100-200 साल पुराने वक्फ को अवैध कर देंगे?”

केंद्र का जवाब और तीखी नोकझोंक

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि याचिकाकर्ता कोर्ट को गुमराह कर रहे हैं। इस पर सिब्बल भड़क गए और बोले, “आप बयानबाजी करते हैं और कहते हैं कि हमने कोर्ट को गुमराह किया।” CJI ने कुछ राज्यों जैसे तमिलनाडु, पंजाब, केरल का जिक्र किया, जहां वक्फ प्रॉपर्टी के रजिस्ट्रेशन में कमी है। सिब्बल ने कहा कि ये राज्यों की नाकामी है, जिसके लिए मुस्लिम समुदाय को सजा नहीं मिलनी चाहिए।

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