सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों कहा था कि उसके सभी जजों को अपनी संपत्ति का ब्योरा सार्वजनिक करना चाहिए। इसके अलावा उन जजों को भी ऐसा करना होगा, जो भविष्य में शीर्ष अदालत का हिस्सा होंगे। इसके बाद भी अब तक 13 प्रतिशत सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों ने ही अपनी संपत्ति की जानकारी पब्लिक डोमेन में दी है।
दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के घर पर बड़े पैमाने पर कैश मिलने और उसमें आग लगने के दावों के बीच ऐसा आदेश आया था।(Supreme Court Judges Property Disclosure) कोर्ट का कहना था कि सभी जजों को उसकी वेबसाइट पर संपत्ति का ब्योरा देना होगा। यह पहला मौका नहीं है, जब अदालत ने कहा है कि सभी जजों को अपनी वेल्थ की जानकारी सार्वजनिक करनी होगी।
12 साल बाद फिर से उठाया सवाल
इससे पहले 1997 में सुप्रीम कोर्ट ने एक प्रस्ताव लाकर कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के सभी जस्टिसों को अपनी संपत्ति की जानकारी चीफ जस्टिस को देनी चाहिए। इसके अलावा उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों को कहा गया था कि वे भी अपने चीफ जस्टिस को जानकारी देंगे। उस प्रस्ताव पर कभी शत प्रतिशत अमल नहीं हुआ है। हालांकि ऐसा प्रस्ताव हर साल आता रहा है। इसके बाद 12 साल बाद एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सभी जजों को अपनी संपत्ति सार्वजनिक कर देनी चाहिए। फिर भी यह आदेश नहीं था बल्कि यह वैकल्पिक था। कोर्ट का कहना था कि जज चाहें तो अपनी संपत्ति का ब्योरा दे सकते हैं। इससे आम लोगों में न्यायपालिका के प्रति भरोसा मजबूत होगा।
18 हाई कोर्ट्स की वेबसाइट पर कोई जानकारी नहीं
देश के 25 उच्च न्यायालयों और सुप्रीम कोर्ट के जजों की ओर से वेबसाइटों पर जो जानकारी दी गई है। उसका अध्ययन करने पर पता चलता है कि 13 प्रतिशत मौजूदा जजों ने ही संपत्ति घोषित की है। हालांकि एक जानकारी यह है कि सुप्रीम कोर्ट के 33 में से 30 जजों ने चीफ जस्टिस को अपनी संपत्ती का ब्योरा सौंप दिया है।
लेकिन अब तक उसे वेबसाइट पर नहीं डाला गया है। बार ऐंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार इसकी वजह कोई तकनीकी खामी बताई जा रही है। अब हाई कोर्ट की बात करें तो कुल 762 जजों में से 95 ने ही संपत्ति का ब्योरा दिया है। इन लोगों की जानकारी उच्च न्यायालयों की वेबसाइट से प्राप्त की जा सकती है। देश के करीब 18 उच्च न्यायालय ऐसे हैं, जिनकी वेबसाइट पर जजों की दौलत के बारे में कोई जानकारी नहीं है। इन 18 में देश का सबसे बड़ा इलाहाबाद उच्च न्यायालय भी शामिल है।
इलाहाबाद अदालत के सभी 81 जजों…
देश के करीब 18 उच्च न्यायालय ऐसे हैं, जिनकी वेबसाइट पर जजों की दौलत के बारे में कोई जानकारी नहीं है। इन 18 में देश का सबसे बड़ा इलाहाबाद उच्च न्यायालय भी शामिल है। इलाहाबाद हाई कोर्ट में कुल 81 जज हैं। इन सभी ने संपत्ति का ब्यौरा नहीं दिया है। इसके अलावा बॉम्बे, कलकत्ता, गुजरात और पटना हाई कोर्ट की ओर से भी कोई जानकारी नहीं है। हाई कोर्ट के मामले में केरल ने बाजी मारी है। केरल उच्च न्यायालय में कुल 44 जज हैं, जिनमें से 41 ने अपनी संपत्ति का ब्यौरा दिया है।
हिमाचल के 11 जजों ने दी जानकारी
इसके अलावा हिमाचल प्रदेश के 12 में से 11 जजों ने संपत्ति का जानकारी पब्लिक की है। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के 53 में से 30 जजों ने संपत्ति की जानकारी साझा की है। दिल्ली उच्च न्यायालय की बात करें तो 36 में से 7 ने ही संपत्ति का ब्यौरा दिया है।