साल 2025 भारतीय न्यायपालिका के लिए एक अहम साल साबित होने वाला है। इस साल सुप्रीम कोर्ट में कई बदलाव देखने को मिलेंगे, जिनमें 7 न्यायधीशों का रिटायर होना और 3 नए चीफ जस्टिस की नियुक्ति प्रमुख हैं। वर्तमान में चीफ जस्टिस के पद पर कार्यरत संजीव खन्ना मई 2025 में रिटायर हो जाएंगे, जिसके बाद बीआर गवई को चीफ जस्टिस की जिम्मेदारी मिलेगी। गवई के बाद नवंबर 2025 में जस्टिस सूर्यकांत मुख्य न्यायाधीश बनेंगे। इस प्रकार, भारत को 2025 में 3 अलग-अलग चीफ जस्टिस मिलेंगे।
7 जज होंगे रिटायर, सरकार को भरने होंगे नए पद
साल 2025 में सुप्रीम कोर्ट के 7 जज रिटायर हो जाएंगे। इनमें जस्टिस सीटी रविकुमार, जस्टिस हृषिकेश रॉय, चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी, जस्टिस सुधांशु धूलिया, और जस्टिस बीआर गवई का नाम शामिल है। इन जजों के रिटायर होने से सुप्रीम कोर्ट में कुल 8 जजों के पद रिक्त होंगे, जिनमें से एक पद पहले से खाली है। इसका मतलब है कि सरकार को इस साल इन रिक्त पदों को भरने के लिए नए जजों की नियुक्ति करनी होगी।
3 चीफ जस्टिस का मिलना, 200 दिन से कम कार्यकाल वाले 2 चीफ जस्टिस
2025 में भारत को तीन अलग-अलग चीफ जस्टिस मिलेंगे, और इनमें से दो का कार्यकाल 200 दिन से भी कम होगा। पहला चीफ जस्टिस संजीव खन्ना होंगे, जो मई 2025 में रिटायर होंगे और केवल 185 दिन तक अपने पद पर रहेंगे। इसके बाद, जस्टिस बीआर गवई को चीफ जस्टिस बनाया जाएगा, जो करीब 120 दिन तक पद पर रहेंगे। गवई के बाद, जस्टिस सूर्यकांत को चीफ जस्टिस का पद सौंपा जाएगा और उनका कार्यकाल एक साल से ज्यादा रहेगा।
इस तरह के बदलाव भारतीय न्यायपालिका में दुर्लभ होते हैं, और इस बार तीन चीफ जस्टिस एक ही साल में नियुक्त हो रहे हैं। इससे पहले 2017 और 2014 में भी भारत को तीन चीफ जस्टिस मिले थे, लेकिन इन सालों में बदलाव के कारण कार्यकाल भी छोटा था।
2017 और 2014 में भी भारत ने देखे थे 3 चीफ जस्टिस
2017: तीन चीफ जस्टिस का साल
साल 2017 में भी भारत को तीन चीफ जस्टिस मिले थे। 2015 में चीफ जस्टिस बने टीएस ठाकुर ने 3 जनवरी 2017 को रिटायरमेंट लिया। उनके बाद जस्टिस जगदीश खेहर ने चीफ जस्टिस का पद संभाला और अगस्त 2017 तक इस पद पर रहे। फिर, जस्टिस दीपक मिश्रा ने अगस्त 2017 में चीफ जस्टिस का कार्यभार संभाला और अक्टूबर 2018 तक इस पद पर रहे।
2014: तीन चीफ जस्टिस का रिकॉर्ड
इसी तरह, 2014 में भी तीन चीफ जस्टिस थे। 2013 में चीफ जस्टिस बने पी सदाशिवम ने अप्रैल 2014 में पद छोड़ा। उनके बाद, जस्टिस राजेंद्र मल लोढ़ा ने चीफ जस्टिस का पद संभाला और सितंबर 2014 तक इस पद पर रहे। लोढ़ा के बाद जस्टिस एचएल दत्तू ने चीफ जस्टिस का पद संभाला और एक साल से ज्यादा तक इस पद पर रहे।
2004 और उससे पहले भी देखने को मिला था तीन चीफ जस्टिस का बदलाव
भारत में 2004 और उससे पहले भी तीन चीफ जस्टिस का इतिहास रहा है। 2004 में वीएन खरे के रिटायर होने के बाद एस राजेंद्र बाबू ने मात्र 29 दिन तक इस पद पर काम किया और फिर जस्टिस आरसी लाहोटी ने इस पद की जिम्मेदारी संभाली। वहीं, 2002 में चार चीफ जस्टिस का रिकॉर्ड था। एसपी भरुचा के रिटायर होने के बाद जस्टिस वीएन कृपाल ने चीफ जस्टिस का पद संभाला, और नवंबर 2002 में जस्टिस गोविंद वल्लभ पटनायक ने इस पद की जिम्मेदारी संभाली। पटनायक के बाद जस्टिस वीएन खरे ने दिसंबर 2002 में चीफ जस्टिस का पद ग्रहण किया।
1998 में भी तीन चीफ जस्टिस बने थे
साल 1998 में भी भारत में तीन चीफ जस्टिस थे। 1997 में जस्टिस जगदीश शरण वर्मा के रिटायर होने के बाद जस्टिस मदन मोहन पुंछी ने चीफ जस्टिस का पद संभाला और अक्टूबर 1998 में रिटायर हो गए। इसके बाद, जस्टिस आदर्श सेन आनंद को भारत के चीफ जस्टिस की जिम्मेदारी सौंपी गई।
आखिरकार, 2025 में क्यों होंगे इतने बदलाव?
इन बदलावों की एक बड़ी वजह सुप्रीम कोर्ट में जजों की रिटायरमेंट उम्र और नियुक्तियों की प्रक्रिया है। हालांकि, न्यायपालिका में इन बदलावों का असर न्याय की प्रक्रिया पर नहीं पड़ता है, क्योंकि नई नियुक्तियां जल्द ही की जाती हैं और अदालत की कार्यशैली में कोई खास बदलाव नहीं होता। लेकिन तीन चीफ जस्टिस का एक साथ कार्यकाल बदलना भारत में एक दुर्लभ घटना है, जो इस साल के लिए खास है।