बाबा रामदेव की एक बार फिर मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है। पहले सुप्रीम कोर्ट ने भ्रामक विज्ञापन केस में उनको माफीनामा देने के लिए बाध्य किया। अब शीर्ष अदालत से फिर बाबा रामदेव को झटका लगा है। बाबा रामदेव को ये झटका योग शिविरों को लेकर लिया है। दरअसल, बाबा रामदेव के योग शिविरों पर सर्विस टैक्स बन रहा है। सर्विस टैक्स विभाग ने बाबा रामदेव से 4.5 करोड़ रुपए बतौर कर, जुर्माना और ब्याज चुकाने को कहा था। बाबा रामदेव इस आदेश के खिलाफ सर्विस टैक्स अपेलेट ट्रिब्यूनल में गए। वहां उन्होंने कहा कि पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट ऐसी सेवा दे रहा है, जो बीमारियों के इलाज के लिए है।
बाबा रामदेव की तरफ से दलील दी गई कि ये सेवा हेल्थ और फिटनेस सर्विस के तहत आती है और इसी वजह से सर्विस टैक्स इस पर नहीं लग सकता। जबकि, अपेलेट ट्रिब्यूनल ने अपने फैसले में कहा कि पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट बाबा रामदेव के योग शिविरों के लिए एंट्री फी लेती है। इस फैसले को बाबा रामदेव ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। जस्टिस अभय एम. ओक और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच ने अपेलेट ट्रिब्यूनल के फैसले को सही पाया।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि एंट्री फी लेने के बाद शिविरों में कराया जाने वाला योग एक सेवा यानी सर्विस है। बेंच ने कहा कि पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट ने जो दावा किया, उसके पक्ष में कोई भी सकारात्मक सबूत नहीं दिया। जबकि, उसे सबूत देने थे कि ट्रस्ट के योग शिविर किसी को होने वाली खास बीमारियों के लिए उपचार देने वास्ते लगाए जा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी करते हुए बाबा रामदेव की अर्जी को खारिज कर दिया। अब बाबा रामदेव को अपने योग शिविरों के लिए सर्विस टैक्स चुकाना पड़ेगा।