नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को संविधान के अनुच्छेद 35 A पर सुनवाई को 19 जनवरी तक टाल दिया है. मामले की गंभीरता को देखते हुए एटोर्नी जैनेरल एक वेनूगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी थी कि सुरक्षा एजेंसियां फिलहाल जम्मू कश्मीर में होने वाले पंचायती चुनावों में व्यस्त हैं. उन्होने कहा कि पहले चुनावों को शांतिपूर्ण तरीके से पूरा होने दें.
सरकार के इस फैसले को स्वीकारते हुए कोर्ट ने अनुच्छेद 35 A की वैधता को लेकर हो रही सुनवाई को 19 जनवरी तक के लिए टाल दिया है. जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल एनएन वोहरा ने एक अध्यादेश जारी करते हुए साल के अंत में पंचायती चुनाव रखने का फैसला लिया था.
बता दें कि संविधान के अनुच्छेद 35 A में कश्मीर के लोगों को स्पेशल अधिकार मिले हुए हैं जिसे सैंवधानिक रूप से अवैध करार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है. अनुच्छेद 35A के तहत जम्मू कश्मीर विधान सभा को नागरिकता, जमीन, नौकरियों, स्कोलरशिप आदि से जुड़े फैसले के अधिकार हैं. इस अनुच्छेद के चलते कश्मीर की महिलाओं के साथ हो रहे भेदभाव को पर भी बहस होती है. दरअसल इस अनुच्छेद के चलते यदि वो किसी गैर कश्मीरी निवासी से शादी करती हैं तो उन महिलाओं से उनकी जमीन और नागरिकता से जुड़े कई अधिकार छीन लिए जाते हैं. उन महिलाओं के बच्चों को मिलने वाले उत्तराधिकार से जुड़े हक नही मिल पाते हैं. हालांकि 2002 में जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट ने इस पर फैसला सुनाते हुए महिलाओं को उनके हक देने की बात कही थी लेकिन उस पर खास अमल नही हो पाया है.
ऐसे में एक गैर सरकारी संगठन वी द सिटीजन ने सुप्रीम कोर्ट में संविधान के अनुच्छेद की वैधता पर सवाल उठाते हुए एक याचिका दायर की थी. इसके बाद भी कई महिलाओं ने इस मामले को लेकर अपनी याचिकाएं दायर की थी जिस का संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में केंद्र और जम्मू कश्मीर सरकार को नोटिस जारी किया था.
हालांकि कई विपक्ष नेता इस अनुच्छेद को कश्मीर के हालातों का हवाला देते हुए सही ठहराते हैं. जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने 35 ए को लेकर पिछले साल कहा था कि यदि ये हटाया गया तो कश्मीर में तिरंगा उठाने वाला कोई नही रहेगा. वहीं नेशनल कांफ्रेंस के लीडर फारूक अब्दुल्ला ने कहा था कि 35 ए के साथ छेड़छाड़ करना आग से खेलने जैसा है.