सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को यूपी के बुलंदशहर में स्थित श्रीमंगला बेला भवानी मंदिर मामले में सुनवाई की। अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा कि राज्य में धार्मिक संस्थाओं को नियंत्रित करने का कोई कानून क्यों नही है? सुप्रिम कोर्ट ने यूपी सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि ये अराजकता है, क्या उत्तर प्रदेश में प्रशासनिक आदेश के तहत कुछ भी कर सकते हैं।
अदालत ने कहा कि यूपी सरकार इस संबंध में कानून बनाने पर विचार करे, जिसके तहत सरकार गलत प्रबंधन के आरोपों पर मंदिर व धार्मिक संस्था का मैनेजमेंट अपने अधिकार क्षेत्र में ले सके। अदालत ने कहा कि, उत्तर प्रदेश सरकार इस संबंध में कानून बनाने पर विचार करे, जिसके तहत सरकार गलत प्रबंधन के आरोपों पर मंदिर व धार्मिक संस्था का मैनेजमेंट अपने अधिकार क्षेत्र में ले सके।
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि, जब मंदिरों और धार्मिक संस्थानों के नियमन के लिए केंद्र सरकार का कानून है साथ ही कई अन्य राज्यों में भी यह कानून है तो यूपी सरकार के पास उचित कानून क्यों नही है। जब आपके राज्य में कानून नही है तो आपने केंद्र सरकार के कानून को नहीं अपनाया? अदालत ने आगे कहा कि यूपी सरकार छह हफ्ते के अंदर इस बात का जवाब दे कि वह इस संबंध में कानून बना रहे हैं या नहीं। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह मामला केवल मंदिर का नहीं, बल्कि लोगों की आस्थाओं से जुड़ा मामला है और हमें लोगों से मतलब है।
पिछली सुनवाई में उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि, हम उत्तर प्रदेश सरकार से तंग आ चुके हैं। ऐसा लगता है यूपी में जंगलराज है। आखिर ऐसा क्यों होता है कि अधिकतर मामलों में यूपी सरकार की ओर से पेश वकीलों के पास संबंधित अथॉरिटी का कोई उचित निर्देश नहीं होता। बुलंदशहर के सैकड़ों वर्ष पुराने एक मंदिर से जुड़े प्रबंधन के मामले की सुनवाई के दौरान पीठ ने यह टिप्पणी की थी।
उस दौरान कोर्ट ने यूपी सरकार के वकील से पूछा था कि राज्य में कोई ट्रस्ट या सहायतार्थ ट्रस्ट क्या है? क्या वहां मंदिर और सहायतार्थ चंदे को लेकर कानून है? जिस पर जवाब में वकील ने कहा कि इसकी उन्हें कोई जानकारी नहीं है। उनके इस जवाब पर पीठ ने नाराजगी जताई थी।