जाति जनगणना पर बिहार सरकार को बड़ी राहत, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ‘इससे नुकसान क्या है?’

जाति जनगणना पर बिहार सरकार को बड़ी राहत, सुप्रीम कोर्ट का सवाल- ‘इससे नुकसान क्या है?’

बिहार सरकार के लिए अच्छी खबर है। बिहार में जाति सर्वे के खिलाफ याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई और अदालत ने NGO ‘यूथ फॉर इक्वेलिटी’ की ओर से पेश वकील सीएस वैद्यनाथन से पूछा कि जाति या उप-जाति का विवरण प्रदान करने में क्या नुकसान है? इससे दिक्कत क्या है? अगर कोई अपनी जाति या उपजाति का नाम बता दे और वह डेटा प्रकाशित न हो तो इसमें हर्ज क्या है? शीर्ष अदालत ने आगे सवाल करते हुए कहा जो आंकड़े जारी करने की मांग की जा रही है, वह सिर्फ एक आंकड़े हैं, यह निजता के अधिकार का हनन कैसे करते है, बताइए? आंकड़े रोकने की मांग कर रहे वकील से अदालत ने आगे पूछा- आपके अनुसार कौन से प्रश्न जो पूछे जा रहे हैं, संविधान के अनुच्छेद 21 के विपरीत हैं?

अब इस मामले की सुनवाई सोमवार 21 अगस्त को होगी। शुक्रवार को सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एस.वी.एन. भट्टी की बेंच ने कहा, ‘जब तक प्रथम दृष्टया कोई मजबूत मामला न हो, हम किसी भी चीज पर रोक नहीं लगाएंगे।’ इसके साथ हीं उन्‍होंने उन याचिकाकर्ताओं को धन्यवाद कहा, जिन्होंने बिहार में जाति-आधारित सर्वे को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज करने के पटना HC के आदेश के खिलाफ विशेष अनुमति याचिका दायर की थी।

Previous articleट्रेन से भी सस्ता हवाई सफर, 1470 रुपए में दुबई-यूरोप घूमने का मौका
Next articleपहाड़ों पर कोहराम, भूस्खलन से ऋषिकेश-बद्रीनाथ हाइवे बंद