Sunday, November 24, 2024

सुप्रीम कोर्ट की फटकार, ठग सुकेश की पत्नी पर लगा 50 हजार का जुर्माना

नई दिल्ली – सुप्रीम कोर्ट ने कॉनमैन सुकेश चंद्रशेखर की पत्नी पर बार-बार याचिका दायर करने के लिए 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। यह आदेश जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने सुनवाई के दौरान दिया। कोर्ट ने सुकेश के वकील को भी फटकार लगाई, जो बार-बार याचिकाएं दायर कर रहे थे।

दरअसल, सुकेश चंद्रशेखर की पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट के 14 अक्टूबर के आदेश को चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने संबंधित मामलों के साथ उसकी जमानत याचिका को 14 नवंबर के लिए स्थगित कर दिया था।

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

सुनवाई के दौरान जस्टिस शर्मा ने कहा, “आप बताइए कि कितना जुर्माना लगाया जाए?” कोर्ट ने यह भी कहा कि आप पहले हाईकोर्ट के सामने यही कह रहे थे कि आपके पास कई मामले हैं, और अब आप उसी आदेश को चुनौती दे रहे हैं। इस पर सुकेश की पत्नी के वकील ने कहा कि वह याचिका वापस ले रहे हैं और जुर्माना न लगाने की गुजारिश की, ताकि ट्रायल में कोई दिक्कत न आए। लेकिन जस्टिस त्रिवेदी ने उनकी बात मानने से इनकार कर दिया।

जस्टिस त्रिवेदी का सख्त रुख

सुनवाई के दौरान जस्टिस त्रिवेदी ने सख्त लहजे में कहा, “आपके पास पैसे हैं और आप बार-बार कोर्ट में नहीं आ सकते। यह जरूरी है कि कुछ सीमाएं तय की जाएं।” उन्होंने स्पष्ट किया कि इस तरह के तुच्छ आवेदन दायर करने पर सुप्रीम कोर्ट को कुछ रोक लगानी पड़ेगी। जुर्माने की राशि को दो हफ्ते के भीतर जमा करने का आदेश भी दिया गया है।

सुकेश चंद्रशेखर का इतिहास

सुकेश चंद्रशेखर की गिरफ्तारी साल 2015 में हुई थी, जब उन पर आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी के आरोप लगे थे। फिलहाल, वह दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं और उन पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच भी चल रही है। सुकेश लंबे समय से जमानत की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अभी तक उन्हें सफलता नहीं मिली है।

जेल में चिट्ठियों की चर्चा

सुकेश जेल में रहते हुए अपनी चिट्ठियों के कारण भी सुर्खियों में रहते हैं। उन्होंने दिल्ली सरकार और अभिनेत्री जैकलिन फर्नांडिज को लेकर कई पत्र लिखे, जो मीडिया में काफी चर्चा का विषय बने।

सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय दिखाता है कि न्यायालय बार-बार की जा रही याचिकाओं को लेकर कितनी गंभीरता से निपटने के लिए तत्पर है। ऐसे मामलों में अदालतों को बाधा उत्पन्न करने वाली याचिकाओं पर सख्ती बरतनी जरूरी है।

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