सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय जीएसटी (GST) कानून और सीमा शुल्क (Customs) कानून को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाया है। इस फैसले के बाद अब इन कानूनों के तहत किसी को भी आसानी से गिरफ्तार नहीं किया जा सकेगा। अदालत ने इन मामलों में गिरफ्तारी से पहले कुछ सुरक्षा उपायों को जरूरी कर दिया है, जिससे व्यापारियों और कारोबारियों को राहत मिलेगी।
अब यूं ही नहीं होगी गिरफ्तारी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकारी अधिकारियों को किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने से पहले यह साबित करना होगा कि ऐसा करने के पीछे ठोस वजहें हैं। बिना पर्याप्त आधार के अब जीएसटी और कस्टम एक्ट के तहत गिरफ्तारी या अन्य सख्त कार्रवाई नहीं की जा सकेगी। इस फैसले से टैक्सपेयर्स को काफी राहत मिलने की उम्मीद है।
तीन जजों की बेंच ने सुनाया फैसला
सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने इस मामले में अहम निर्णय सुनाया। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अगुवाई वाली इस बेंच में जस्टिस एम.एम. सुदरेश और जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी भी शामिल थीं। कोर्ट ने साफ किया कि जीएसटी और कस्टम एक्ट के तहत अगर कोई आपराधिक मामला शुरू होता है, तो आरोपी को जमानत के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाने का अधिकार होगा, भले ही उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज न हुई हो।
याचिकाकर्ताओं ने क्या दलील दी?
याचिकाकर्ताओं ने इन कानूनों के प्रावधानों को चुनौती देते हुए तर्क दिया कि वे संविधान के अनुच्छेद 20(3) और 21 के तहत मिलने वाले अधिकारों का उल्लंघन करते हैं। उनका कहना था कि जीएसटी और कस्टम कानून के तहत होने वाली गिरफ्तारियां मनमानी हैं और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन नहीं किया जाता।
याचिकाकर्ताओं का कहना था कि सीमा शुल्क कानून और जीएसटी कानून के कुछ प्रावधान सीआरपीसी और सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसलों के अनुरूप नहीं हैं, इसलिए इन पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए।
सरकार ने कैसे किया बचाव?
सरकार ने अपने पक्ष में दलील दी कि जीएसटी कानून के तहत गिरफ्तारियां केवल संदेह के आधार पर नहीं होतीं, बल्कि ठोस प्रमाणों पर की जाती हैं। सरकार ने कहा कि इन कानूनों के तहत टैक्स चोरी और धोखाधड़ी पर रोक लगाने के लिए सख्त प्रावधान जरूरी हैं।
सरकार ने बताया कि जीएसटी कानून की धारा 67-1 किसी शख्स या व्यापार की तलाशी और जब्ती से संबंधित है, धारा 69 गिरफ्तारी की अनुमति देती है, धारा 70-1 गवाही और सबूतों से जुड़ी है, जबकि धारा 132 सजा और जुर्माने का प्रावधान करती है।
कोर्ट के फैसले के बड़े असर
1. मनमानी गिरफ्तारियों पर रोक
अब किसी भी व्यक्ति को केवल अंदेशे के आधार पर गिरफ्तार नहीं किया जा सकेगा। कोर्ट ने कहा कि तलाशी और जब्ती के दौरान अधिकारियों द्वारा धमकी देने या बल प्रयोग करने की घटनाएं बर्दाश्त नहीं की जाएंगी। ऐसे मामलों में अधिकारियों पर भी विभागीय कार्रवाई होगी।
2. कस्टम अधिकारियों को नहीं मिलेगा पुलिस का दर्जा
कोर्ट ने साफ किया कि सीमा शुल्क अधिकारियों को पुलिस अधिकारियों के बराबर का दर्जा नहीं दिया जा सकता। इसका मतलब यह है कि वे पुलिस की तरह किसी को भी पकड़कर जेल नहीं भेज सकते, बल्कि उन्हें प्रक्रिया का पालन करना होगा।
3. जीएसटी और कस्टम एक्ट के तहत गिरफ्तारी में सुधार
पीएमएलए (Prevention of Money Laundering Act) जैसे कानूनों की तरह ही अब जीएसटी और सीमा शुल्क कानूनों में भी गिरफ्तारी से पहले सुरक्षा उपाय लागू होंगे। इसका मतलब यह है कि एजेंसियों को यह साबित करना होगा कि वास्तव में कोई अपराध हुआ है और उसकी पुष्टि जरूरी है।
4. गिरफ्तारी का मतलब आरोप तय करना नहीं होगा
कोर्ट ने इस फैसले में स्पष्ट किया कि किसी की गिरफ्तारी का मतलब यह नहीं होगा कि उस पर आरोप सिद्ध हो गए हैं। एजेंसियों को गिरफ्तारी से पहले पूरी जांच करनी होगी और केवल जरूरत पड़ने पर ही यह कदम उठाया जा सकेगा।
व्यापारियों के लिए राहत की उम्मीद
इस फैसले के बाद उम्मीद की जा रही है कि जीएसटी और सीमा शुल्क अधिकारियों की ओर से व्यापारियों के खिलाफ मनमानी कार्रवाई पर रोक लगेगी। अब अधिकारी बिना पुख्ता सबूतों के किसी को भी गिरफ्तार नहीं कर सकेंगे, जिससे बिजनेस कम्युनिटी को बड़ी राहत मिलेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने अभी भी जीएसटी कानून के कुछ और प्रावधानों पर चर्चा करने के लिए इस मामले को दूसरी बेंच को सौंप दिया है। अगली सुनवाई 15 मार्च को होगी, जिसमें कई और अहम पहलुओं पर चर्चा की जाएगी।