नई दिल्ली: दुष्कर्म के मामलों में बढ़ोतरी और एक बालिका आश्रय गृह में 34 लड़कियों से दुष्कर्म पर चिंता व्यक्त करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को मुजफ्फरपुर बालिका आश्रय गृह चलाने के लिए गैर सरकारी संगठनों को धन देने के लिए करदाताओं के पैसे का दुरुपयोग करने को लेकर बिहार सरकार को कड़ी फटकार लगाई.
न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति के.एम. जोसेफ की खंडपीठ ने कहा, “लोग कर चुका रहे हैं. लोगों का पैसा इस तरह की गतिविधियों को वित्तपोषित करने में इस्तेमाल किया जा रहा है.. इन गैर सरकारी संगठनों को बिना जांच पड़ताल के पैसा दिया गया है.”
बेंच ने इंटरनेट पर उपलब्ध 2016 के राष्ट्रीय अपराध अनुसंधान ब्यूरो के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा, “क्या हो रहा है? लड़कियों का हर कहीं हर किसी के द्वारा दुष्कर्म किया जा रहा है.” आंकड़ों के अनुसार, 2016 में 38,947 दुष्कर्म की रिपोर्ट दर्ज की गई थी. अदालत ने कहा, मध्य प्रदेश में, लड़कियों को वेश्यावृत्ति के लिए खुले तौर पर बेचा जा रहा है और उसके बाद दुष्कर्म की संख्या में उत्तर प्रदेश है.
यौन दुर्व्यवहार के मामलों में शामिल एनजीओ को वित्त पोषित करने को लेकर बिहार सरकार को लताड़ते हुए शीर्ष अदालत ने सवाल किया कि कैसे राज्य उन्हें बिना पड़ताल किए बिना धन उपलब्ध करा सकता है. खंडपीठ ने बिहार सरकार से पूछा कि राज्य सरकार इन गैर सरकारी संगठनों को कब से धन उपलब्ध करा रहा था, तो ‘2014 से’ बताया गया. अदालत ने कहा, “कम से कम 3-4 साल से बिहार सरकार उन्हें बिना उद्देश्य के पैसे दे रही है. क्या जांच पड़ताल करने का कानून नहीं है?”
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पटना के एक निवासी ने अदालत से मामले का संज्ञान लेने को पत्र लिखा था. उसके बाद अदालत ने खुद से पहल करते हुए मामले की निगरानी शुरू की है और सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) इस मामले की जांच कर रही है. अदालत ने इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट और सोशल मीडिया पर यौन अपराधों की पीड़िताओं की किसी प्रकार की तस्वीर (ब्लर किया और चेहरा ढंका हुआ भी नहीं) पर प्रतिबंध लगा दिया है.
अदालत ने बिहार सरकार से आरोपियों में से एक की पत्नी के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा, जिसने दुष्कर्म पीड़िताओं के नाम अपने फेसबुक पेज पर साझा किए थे. अदालत ने सुझाव दिया कि एनजीओ संचालित आश्रय गृहों की उचित निगरानी दैनिक आधार पर की जानी चाहिए और मुजफ्फरपुर आश्रय गृह दुष्कर्म जैसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने चाहिए.
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सर्वोच्च न्यायालय को बताया गया था कि मुजफ्फरपुर स्थित एनजीओ दुष्कर्म के आरोपों का सामना करने वाला अकेला नहीं था और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज द्वारा सोशल ऑडिट रिपोर्ट ने बिहार में 15 ऐसे राज्य-वित्त पोषित संस्थानों पर गंभीर चिंता जताई थी. खंडपीठ को बताया गया था कि यौन शोषण के लिए 15 गैर सरकारी संगठनों में से नौ को चिन्हित किया गया है.
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बिहार सरकार के वकील ने अदालत को बताया कि 15 गैर सरकारी संगठनों में से नौ के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है, और एक को छोड़कर सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है. अदालत को बताया गया था कि कुछ अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया और उन पर कार्रवाई की जा रही है.