Thursday, October 24, 2024
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सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख, हड़ताल पर चल रहे डॉक्टरों को काम पर लौटने का आदेश, नहीं तो लग जाएगी एब्सेंट

नई दिल्ली। कोलकाता रेप-मर्डर केस की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एम्स के डॉक्टरों को लेकर सख्त टिप्पणी की। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अगर डॉक्टर काम पर नहीं लौटते हैं, तो उन्हें अनुपस्थित माना जाएगा और कानून अपने हिसाब से काम करेगा। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि डॉक्टरों को अपनी ड्यूटी पर वापस लौटना चाहिए और मरीजों की सेवा करनी चाहिए। एम्स डॉक्टर संघ ने कोर्ट में अपनी परेशानी जताते हुए कहा कि उन्हें प्रदर्शन के कारण परेशान किया जा रहा है। डॉक्टर संघ का कहना था कि वह प्रदर्शन कर रहे थे, इसलिए वह अपनी ड्यूटी पर नहीं थे। इस पर सीजेआई ने दो टूक कहा कि अगर आप ड्यूटी पर हैं तो ठीक है, लेकिन अगर नहीं हैं तो कानून अपना काम करेगा। उन्होंने कहा कि डॉक्टर पहले अपनी ड्यूटी ज्वाइन करें, उसके बाद ही कोई राहत दी जा सकती है।

सीजेआई ने डॉक्टरों से की अपील

सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि डॉक्टरों को काम पर लौटना आवश्यक है, अन्यथा सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं का ढांचा चरमरा जाएगा। उन्होंने बताया कि एक एक्सपर्ट कमिटी बनाई गई है, जो डॉक्टरों और अन्य हितधारकों से बातचीत करेगी। सीजेआई ने डॉक्टरों को आश्वस्त किया कि अगर वह काम पर लौटते हैं तो उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। सीजेआई ने अपनी व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हुए कहा कि उन्होंने भी एक सरकारी अस्पताल में जमीन पर सोकर समय बिताया है, जब उनके एक रिश्तेदार बीमार थे। उन्होंने बताया कि वह जानते हैं कि डॉक्टर 36 घंटे तक लगातार काम कर रहे हैं और उनकी समस्याओं को समझते हैं। लेकिन इसके बावजूद उन्होंने डॉक्टरों से अपील की कि वह ड्यूटी पर लौटें और मरीजों की सेवा करें।

डॉक्टरों पर दबाव की बात को लेकर कोर्ट गंभीर

कोर्ट ने कहा कि उन्हें बहुत सारे ईमेल मिले हैं, जिनमें डॉक्टरों पर भारी दबाव की बात कही गई है। उन्होंने बताया कि 48 या 36 घंटे की ड्यूटी किसी के लिए भी अच्छी नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों को आश्वस्त किया कि उनकी समस्याओं को गंभीरता से लिया जाएगा और एक जनरल आदेश जारी करने की भी बात कही, जिसके तहत काम पर लौटने वाले डॉक्टरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।

नागपुर एम्स के डॉक्टरों की अर्जी

नागपुर एम्स के रेजिडेंट्स डॉक्टरों ने कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा कि विरोध प्रदर्शन के कारण उन्हें परेशान किया जा रहा है और परीक्षा भी नहीं देने दी जा रही है। इस पर सीजेआई ने स्पष्ट किया कि अगर डॉक्टर ड्यूटी पर हैं तो उन्हें अनुपस्थित नहीं माना जाएगा, लेकिन अगर वह ड्यूटी पर नहीं हैं तो कानून का पालन किया जाएगा। कोर्ट ने कहा कि डॉक्टरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी और अगर उन्हें कोई परेशानी होती है तो वह कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं। अंत में, सीजेआई ने कहा कि सार्वजनिक प्रशासनिक ढांचे को बनाए रखने के लिए डॉक्टरों का काम पर लौटना आवश्यक है। उन्होंने डॉक्टरों को भरोसा दिलाया कि उनकी समस्याओं को राष्ट्रीय टास्क फोर्स द्वारा सुना जाएगा और समाधान की दिशा में कदम उठाए जाएंगे।

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